सीकर / राजस्थान
खाद्य पदार्थों में जहां मिलावट का धंधा जोरों पर है, वहीं दवाइयों में भी अब गड़बड़ी होने लगी है। बाजार में गैसटिंग कम करने वाली दवाइयों के नमूने जांच में फेल हो गए। गैस कम करने वाली दवाइयों में जिन दवा की मात्रा दिखा रखी है। वह तो डाली ही नहीं जा रही है। किसी कैप्सूल में दवा की मात्रा घटाकर बिल्कुल आधी कर दी गई है। ऐसे में मिलावटखोर मरीज को ठीक करने वाली दवाइयों में भी गड़बड़ी कर उनके स्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ कर रहे हैं।
ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर मनोज गढ़वाल ने बताया कि शहर में स्थित दवा की दुकानों से कुछ दवाइयों के नमूने जांच के लिए जुटाए गए थे, लेकिन जांच में दो नमूने फेल हो गए। इनमें एक नमूना प्रेशन पाटेक कंपनी ओएमडी-डी के बैच संख्या 14377 का ओमीप्राजोल एंड डोमपेरीडोम कैप्सूल है। जिसमें जांच के दौरान डोमपेरीडोम की मात्रा जीरो आई है।
जबकि कैप्सूल में डोमपेरीडोम की मात्रा 10 एमजी होनी चाहिए। जांच में दूसरा फेल होने वाला नमूना सरवोटेक फार्मास्टीकल्स कंपनी के ब्रांड नेम पेनपर डीएसआर मा. के बैच संख्या एसएसी-11794 का पेंटाप्राजोल एंड डेमपेरीडोन कैप्सूल का है। जिसमें 40 एमजी पेंटोप्राजोल की मात्रा के बजाय केवल 20.71 एमजी ही डाली हुई मिली। दोनों दवाइयां शरीर में गैस कम करने के काम आती है। इसके अलावा ली जाने वाली अन्य दवाइयों से होने वाली गैस को भी यही दोनों कैप्सूल नियंत्रण में करते हैं। नमूने फेल होने वाले फर्म मालिकों के खिलाफ कोर्ट केस की कार्रवाई की जा रही है।
खप गया माल उसका क्या?
ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर भले ही नकली दवाइयों की जांच के लिए नमूने जुटा रहे हैं, लेकिन इनकी रिपोर्ट करीब एक साल बाद आने से जिन खराब दवाइयों की खपत हो चुकी है। उसका क्या होगा। इसका जवाब स्वयं विभाग के अधिकारियों के पास भी नहीं है।