नोएडा: जीएसटी लागू होने के बाद ताज नगरी आगरा में नई बात सामने आ रही है। यहां फार्मा कंपनियां डॉक्टरों के क्लीनिक पर चलने वाले दवा काउंटरों को सीधे सप्लाई नहीं देगी। डॉक्टर को बाकायदा मेडिकल स्टोर का अलग से लाइसेंस लेना होगा। बिना लाइसेंस दवा किसी सूरत में नहीं मिलेगी। अब तक डाक्टरों के क्लीनिक पर चल रहे दवा काउंटर कंपनियों से सीधे दवा लेकर मरीजों से मनमानी कीमत वसूलते थे। अपनी दवा लिखवाने की एवज में फार्मा कंपनियां चिकित्सकों को मोटा कमीशन देती थी। कमीशन का औसत दवा की कीमत में 35 से 45 फीसद तक रहता है।
जिले में ढाई हजार से ज्यादा चिकित्सक हैं। अधिकांश चिकित्सक विभिन्न कंपनियों से सीधे दवाएं मंगाते हैं। चिकित्सक इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जो दवा लिखते हैं, वह क्लीनिक के भीतर बने दवा काउंटर के अलावा कहीं ओर नहीं मिलती। डॉक्टर और फार्मा कंपनियों की मिलीभगत से अब तक यह धंधा दिन दोगुनी-रात चौगुनी कर रहा था। लेकिन जीएसटी लगने से कंपनियों की बिक्री का पूरा हिसाब-किताब रखा जाने लगा है। ऐसे में कंपनियां लाइसेंसधारी मेडिकल स्टोर को ही दवा सप्लाई कर सकेंगे।