मुंबई। टेबलेट या कैप्सूल का सेवन करने की अपेक्षा इंजेक्शन का असर जल्दी होना माना जाता है। जबकि दोनों का निर्माण रोग विशेष के लिए ही होता है। तब ये फर्क क्यों होात है। इस विषय में विशेषज्ञों की राय जान लेते हैं।

यह सामान्य है कि हर मरीज जल्दी से जल्दी ठीक होना चाहता है। कुछ दवाओं का असर दूसरी दवाओं से जल्दी हो जाता है। जैसे दवा से जल्दी असर इंजेक्शन का माना जाता है। हालांकि, यह संबंधित दवा किसी खास बीमारी के लिए इलाज की स्थिति और इलाज को लेकर मरीज की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।

इंजेक्शन और टेबलेट दोनों प्रभावी

विशेषज्ञों का कथन है कि सामान्य तौर पर इंजेक्शन और टेबलेट दोनों प्रभावी रहते हैं। कई मरीज उल्टी या बेहोश होने जैसी स्थिति के कारण टेबलेट या कैप्सूल नहीं ले पाते हैं। ऐसे केस में टेबलेट के बजाए इंजेक्शन लगाना जरूरी हो जाता है। दरअसल, मरीज को ऐसी स्थिति में गोली खिलाना संभव नहीं है। वहीं, इंजेक्शन आमतौर पर दवा को सीधे ब्लड फ्लो या मसल्स में पहुंचाते हैं। इससे ओरल मेडिसिन की तुलना में प्रभाव तेजी से शुरू होता है। हालांकि, दवा और उसके फॉर्मूलेशन के आधार पर इंपेक्ट अलग हो सकता है।

गोलियां-कैप्सूल को ब्लड फ्लो में जाने में लगता है समय

गोलियां या कैप्सूल को ब्लड फ्लो में प्रवेश करने से पहले पाचन तंत्र के जरिए से अवशोषित करने की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में कुछ समय लग जाता है। इस कारण इंजेक्शन की तुलना में गोली का असर होने में देरी हो सकती है।