नई दिल्ली। अब डॉक्टर्स भी स्वीकारने लगे हैं कि 90 फीसदी एंटीबायोटिक दवाइयां अपना असर दिखाने में नाकाम साबित हो रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, देश में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल पहले की तुलना में अब ज्यादा होने लगा है।

गौरतलब है कि भारत में सर्दी-जुकाम व खांसी जैसे कई तरह के वायरल रोगों में चिकित्सक 95 प्रतिशत एंटीबायोटिक दवा लेने की ही सलाह देते हैं। जबकि, विदेशों में वायरल बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाएं देने से बचा जाता है।

लोग अपनी मर्जी से भी खरीद रहे एंटीबायोटिक

भारत में डॉक्टर तेज बुखार और डायरिया में भी एंटीबायोटिक दवा देते हैं। हैरानी की बात तो ये है कि लोग अपनी मर्जी से भी केमिस्ट शॉप पर जाकर एंटीबायोटिक दवा खरीद लाते हैं। इसका असर यह हो रहा है कि खुद डॉक्टर भी मानने लगे हैं कि अब एंटीबायोटिक्स दवाइयां अपना असर खो रही हैं। ऐसे में जब वास्तव में शरीर को एंटीबायोटिक्स दवा की जरूरत होती है तो वह असर नहीं दिखा पाती हंै।

स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा कदम

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाते हुए सभी डॉक्टरों से कहा था कि वे जब भी एंटीबायोटिक्स दवाइयां किसी को लिखें तो इसका कारण और इसके परिणाम के बारे में अनिवार्य रूप से बताएं। एंटीबायोटिक्स दवा के बारे में मरीज को सही तरीके से बताएं कि यह क्यों दी जा रही है।

डॉक्टर की सलाह पर ही लें दवा

एलएनजेपी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नरेश कुमार का कहना है कि किसी मरीज को एंटीबायोटिक्स जरूरत के हिसाब से देनी चाहिए। मरीज को कितनी खुराक लेनी चाहिए, यह जानना और समझना जरूरी है। मरीज अपनी मर्जी से भी इसका सेवन करने लगते हैं। इससे साइड इफेक्अ सामने आते हैं। शरीर में कई तरह की समस्याएं लिवर, किडनी और इंफेक्शन आदि हो सकता है। डॉ. नरेश सजाह देते हैं कि डॉक्टर से सलाह लिए बिना एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।