भोपाल। डॉक्टर अपने पास मनमर्जी से दवाइयां स्टोर नहीं कर सकेंगे। अब इस पर सख्ती होने जा रही है। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड एवं कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) इसके लिए ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट के शेड्यूल में बदलाव कर रहा है। इस बदलाव के बाद डॉक्टरों को बेहद जरूरी दवाएं रखने की ही अनुमति मिलेगी। नियम बनने और लागू होने के बाद डॉक्टरों को दवा दुकानों की तरह दवाओं का पूरा ब्योरा रखना होगा। उनके पास दवा कहां से आई और उन्होंने किसे दी, इसका भी हिसाब रखना होगा। इसके अलावा उपलब्ध स्टॉक की जानकारी भी रखनी होगी। गौरतलब है कि सीडीएससीओ को जानकारी मिली थी कि कई डॉक्टर क्लीनिक में मेडिकल स्टोर की तर्ज पर बड़ी संख्या में दवाएं रखते हैं। मरीजों से फीस के साथ ही वे दवाओं के पैसे भी लेते हैं। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों में साफ है कि जहां से दवाएं दी जाती हैं, वहां फार्मासिस्ट होना जरूरी है। लिहाजा फार्मासिस्ट एसोसिएशन द्वारा भी डॉक्टरों के दवाइयां रखने और मरीजों को देने का विरोध किया जा रहा है। इस कारण सीडीएससीओ इसमें बदलाव कर रहा है। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने कमेटी बना दी है। इसके अधीन कुछ उप समितियां भी बनाई गई हैं। उप समितियों में मध्य प्रदेश के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा को भी शामिल किया गया है। करीब छह महीने के भीतर नियम में बदलाव की उम्मीद है। बता दें कि ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट में करीब 50 साल पहले शेड्यूल ‘के’ शामिल किया गया था। इसमें डॉक्टरों को दवाएं रखने की छूट दी गई थी। संख्या व मात्रा भी तय नहीं थी। इसकी वजह यह थी कि ग्रामीण इलाकों में दवा दुकानें काफी कम होती थीं। ऐसे में कोई मरीज डॉक्टर के पास आपात स्थिति में जाए तो उसे कम से कम जरूरी दवाएं मिल सकें। मध्य प्रदेश की डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा ने कहा कि ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट के शेड्यूल ‘के’ में बदलाव का प्रस्ताव है। इसके लिए समिति और उप समिति बनाई गई है। इनकी बैठकें हो रही हैं। इसके बाद नियम में बदलाव का अंतिम प्रारूप तैयार किया जाएगा।