Detected substandard drugs: ड्रग रेगुलेटर के द्वारा हुई जांच में भारत में निर्मित 5 प्रतिशत दवाएं घटिया गुणवत्ता की पायी गई है। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने पिछले महीने जनवरी में 1348 दवाओं के नमूनों की जांच की थी जिनमें से 5 प्रतिशत दवाएं की गुणवत्ता घटिया किस्म की पायी गई।
1348 दवाओं में से 67 नमूने घटिया (Detected substandard drugs)
भारत के ड्रग रेगुलेटर की ओर से देश के अलग-अलग राज्यों से विभिन्न दवाओं के 1348 नमूने एकत्रित किए गए थे जिनमें से 67 नमूने घटिया निकले। इनमें से 1282 दवाओं के नमूने मानक गुणवत्ता वाले घोषित किए गए। 67 दवा के नमूनों में से 17 का निर्माण बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, ऊना और काला अंब स्थित दवा इकाइयों में किया गया था। जिन दवाओं के नमूने घटिया पाए हैं उनमें सूची में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं जैसे एरिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, लेवोसेटिरिज़िन और टेल्मिसर्टन शामिल हैं। जब्त सामग्री पर कोई बैच नंबर, एक्सपायरी या निर्माण तारीख उपलब्ध नहीं थी। दोनों घटिया पाए गए थे।
उज़्बेकिस्तान में बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की कार्रवाही
गौरतलब है कि दिल्ली के मैदान फार्मास्यूटिकल्स और नोएडा में स्थित मैरियन बायोटेक के द्वारा निर्मित कफ सिरप के पीने के बाद कई लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद से भारत में निर्मित दवाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के निशाने पर आ गई है। उज़्बेकिस्तान में कथित रूप से मैरियन बायोटेक के कफ सिरप का सेवन करने के बाद 18 बच्चों की मौत की घटना के बाद भारत में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर जांच कड़ी कर दी गई।
फिर सामने आए 19 फर्जी आयुर्वेद डॉक्टर
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सीडीएसीओ ने दिसंबर महीने में 70 घटिया दवाओं के बारें में जानकारी दी थी। नवंबर में 83 घटिया दवाओं की जांच सामने आयी थी जबकि अक्टूबर में 50 घटिया दवाओं के बारें में पता लगाया गया था। उज़्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दवा निर्माताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाही की गई।