उदयपुर। उदयपुर में सहायक औषधि नियंत्रक लगे होने के बावजूद इनका कार्य भीलवाड़ा के सहायक औषधि नियंत्रक देख रहे हैं, ऐसे में यहां के ड्रग लाइसेंस से लेकर लगातार होने वाली जांचों में नोटिस जारी करने व अन्य नियमित कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार के औषधि नियंत्रक का कहना है कि कानूनी अड़चनों के कारण यह कार्य भीलवाड़ा वाले अधिकारी के माध्यम से करवाने की मजबूरी है।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले वल्लभनगर में नशीली दवाइयां पकड़ी गई थी, इस पर अब तक नोटिस जारी नहीं हुए हैं, तो ऐसा कई बार होता है कि कार्रवाई हो जाती है, लेकिन आगे की प्रक्रिया अटक जाती है। दरअसल पांच वर्ष में पुन: स्वीकृति लेनी होती है। नया मेडिकल स्टोर खोलने पर तीन हजार और खुदरा व थोक दोनों शुरू करने के लिए छह हजार रुपए खर्च होंगे। अधिकारी सप्ताह से लेकर करीब दस दिन में पहुंचते हैं। ऐसे में नोटिस में देरी होती है। नशीली दवाएं मिली थी, वल्लभनगर में उसे अभी तक नोटिस ही जारी नहीं हुआ है। वहीं सहायक औषधि नियंत्रक उदयपुर – चैतन्यप्रकाश पंवार का कहना है कि मुझे सरकार ने यहां ज्वाइनिंग आदेश दिया है, इसलिए मैंने यहां ज्वाइन किया है, लेकिन यहां के काम मेरे पास नहीं है, यह दूसरे सहायक औषधि नियंत्रक देख रहे हैं। वहीं औषधि नियंत्रक, राजस्थान, जयपुर- राजाराम शर्मा के मुताबिक उदयपुर के सहायक औषधि नियंत्रक ने न्यायालय में वाद दायर कर रखा है, ऐसे में उन्हें ये काम नहीं सौंपा गया है, ये भीलवाड़ा वालों से करवा रहे हैं। यदि समस्या आ रही है तो जल्द हल करवाएंगे।

दरअसल वर्तमान में उदयपुर में सहायक औषधि नियंत्रक के पद पर चैतन्यप्रकाश पंवार कार्यरत है, जबकि भीलवाड़ा में सहायक औषधि नियंत्रक के पद पर सुरेश सामर काम कर रहे हैं। यहां पंवार के होने के बाद भी उनके कार्यक्षेत्र का कार्य सामर को सौंपा गया है। ऐसे में वे दो जिलों का काम संभालते हैं और भीलवाड़ा में रहते हैं। वे एक या दो सप्ताह में एक बार यहां आते है, इससे उदयपुर का काम खासा प्रभावित हो रहा है। यहां के औषधि नियंत्रण से जुड़े कार्य प्रभावित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पंवार का काम केवल कार्मिकों का वेतन जारी करने के अलावा कुछ नहीं रहा है। वे यहां बैठे है, लेकिन ना तो किसी मेडिकल स्टोर की जांच कर सकते हैं और ना ही नोटिस जारी कर सकते हैं।