कोरोना महामारी से भले ही देश भर में मानवता कराह रही है। हर तरफ भय, डर और दहशत का माहौल है। ऐसी आपदा में भी दवा व्यापारी आपदा में अवसर खोज रहे हैं। कोरोना में काम आने वाली अधिकांश दवाओं के रेट तीस फीसद से अधिक बढ़ा दिए गए हैं और प्रिट रेट से अधिक में बिक्री की जा रही है। वहीं, सर्जिकल उपकरण जैसे ऑक्सीजन मास्क, इंफ्रारेड थर्मामीटर व पल्स ऑक्सीमीटर तीन गुना दाम पर बिक्री हो रही है। दवा व्यापारियों और मेडिकल स्टोरों की मनमानी रोक पाने में अब तक प्रशासन पूरी तरह से असफल रहा है। औषधि विभाग इस ओर आंख मूंदे हैं।

वर्तमान में सर्दी जुकाम और बुखार के घर-घर मरीज है, इन्हें कोरोना जैसे लक्षण है तो कोरोना में काम आने वाली दवाएं भी यह डॉक्टर की सलाह पर खा रहे हैं। अंधेर यह है कि दवाएं मेडिकल स्टोरों में घट गयी हैं, इसका फायदा मेडिकल स्टोर संचालक उठाकर 30 फीसद महंगे दाम पर दवाओं की बिक्री कर रहे हैं। ऑक्सीजन सिलिडर के लिए मनमानी पैसा वसूला जा रहा है तो जीवन रक्षक दवाओं की बोली मेडिकल स्टोरों में लग रही है। दवाएं प्रिट रेट से अधिक में न बेची जाए यह जिम्मेदारी औषधि प्रशासन विभाग की है, लेकिन जिस प्रकार उनकी सांठगांठ मेडिकल स्टोरों में जाहिर हुई है उससे यह कतई नहीं लगता कि इस मनमानी पर रोक भी लगेगी। इन दवाओं जबरदस्त कालाबाजारी

कोरोना के संभावित मरीजों को चिकित्सकों द्वारा मुख्य रुप से सेफ्टम 500 एमजी, फेबिफ्लू, फ्लूगार्ड, फेवीवोक, डेक्सामेथासोन, कोविहोप, पैनडी, एटूजेड, डोलो 650 एमजी, ग्लिक्टस प्लेन जैसी दवाएं लिखी जाती है। आलम यह है कि यह दवाएं अधिकांश मेडिकल स्टोर में दवा कर रखी जाती है। इनकी उपलब्धता कम बताकर कालाबाजारी की जाती है। दवाओं की बिक्री प्रिट रेट से 30 फीसद से अधिक में की जा रही रही है।

इन उपकरणों की भारी कालाबाजारी

उपकरण का नाम———-पहले मूल्य————अब बिक्री

पल्स ऑक्सीमीटर——–500——————2700

इंफ्रोरेड थर्मामीटर——500—————–1800

आक्सीजन मास्क—— 1200—————-22 से 2800

सर्जिकल मास्क———एक रुपया————-पांच रुपया

मनमाने दाम पर संचालित निजी एंबुलेंस सेवा

एंबुलेंस सेवा के लिए जिला अस्पताल के सामने निजी एंबुलेंस रहती हैं। इस महामारी में इन्होंने भी आपदा को अवसर बना लिया है। शहर के अंदर ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए यह 700 से 1000 रुपये तक चार्ज कर रहे हैं। वहीं कानपुर के लिए जिले से यह 3500 से 4000 रुपये वसूल रहे हैं। दवाओं की बिक्री पर नजर रखी जा रही है। जिन मेडिकल स्टोरों में कालाबाजारी की जा रही है, सूचना दी जाए ऐसे मेडिकल स्टोरों में छापा मारा जाएगा और उनका मेडिकल लाइसेंस भी निरस्त किया जाएगा।

विनय कृष्ण, ड्रग इंस्पेक्टर