बद्दी। केंद्र सरकार ने फार्मा उद्योगों का कामकाज ऑनलाइन करने के प्रोजेक्ट में हिमाचल को भी शामिल किया है। इसके तहत प्रदेश में अब दवा उद्योगों का पंजीकरण और नवीनीकरण ऑनलाइन हो जाएगा। दरअसल राज्य ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाहा ने कहा कि पहले चरण की बैठक स्वास्थ्य निदेशक की अध्यक्षता में हुई। इसमें नए सॉफ्टवेयर को लेकर उद्यमियों से नौ नवंबर तक सुझाव मांगे गए हैं, जो प्रदेश व केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे। गौरतलब है कि इस नए प्रस्तावित सॉफ्टवेयर की समीक्षा करने के लिए बैठक राज्य ड्रग कंट्रोलर बद्दी कार्यालय में हुई। इसकी अध्यक्षता निदेशक स्वास्थ्य सुरक्षा विनियमन प्राधिकरण सुमित खिमटा ने की। बैठक में राज्य ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाहा के अलावा डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मुनीष कपूर सहित पूरे प्रदेश के सहायक दवा नियंत्रकों व निरीक्षकों ने भाग लिया। ऐसा माना जा रहा है कि यह सॉफ्टवेयर धीरे धीरे पूरे भारत में लागू किया जाएगा। इस यूजर फ्रेंडली सॉफ्टवेयर को बनाने का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी। इससे विभाग का रोजाना का काम उत्पादकों व उनके प्रतिनिधियों को बिना चक्कर लगाए पूरा हो सकेगा। इस प्रोजेक्ट में हिमाचल के अलावा गुजरात व महाराष्ट्र को शामिल किया है। प्रदेश के उद्यमियों से इस प्रोजेक्ट के बारे में नौ नवंबर तक सुझाव मांगे हैं। अगर यह प्रोजेक्ट सिरे चढ़ा तो प्रदेश के तमाम फार्मा उद्योगों का सारा कामकाज ऑनलाइन हो जाएगा और विभाग पेपरलेस हो जाएगा। चयनित राज्यों में फार्मा कंपनियां अधिक हैं। हिमाचल तो देश में 40 फीसद दवा की आपूर्ति कर रहा है। दरअसल हिमाचल दवा निर्माता उद्योग संघ के अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता ने कहा कि यूजर फ्रेंडली ऑनलाइन प्रोजेक्ट से उद्यमियों को काफी सुविधा होगी। दवा उत्पादकों को त्वरित ऑनलाइन लाइसेंस मिलेंगे। गुप्ता ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिजली व राजस्व विभाग आदि पहले से ही ऑनलाइन हैं। संघ के सलाहकार सतीश सिगला, उपाध्यक्ष मनोज अग्रवाल, राजेश बंसल, सीएस पुषकरणा, कालाअंब के अध्यक्ष केशव सैणी व लघु उद्योग भारती फार्मा विग के प्रदेश संयोजक चिरंजीव ठाकुर, बद्दी इकाई के अध्यक्ष रामकिशन शर्मा ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।