शिमला। अब देश के उद्योगों को दवाइयों के लिए कच्चा माल विदेशों से नहीं मंगाना पड़ेगा। उनकी सुविधा के लिए हिमाचल में ड्रग फार्मा पार्क बनाया जा रहा है। यहां से देशभर की कंपनियों को दवाइयों के उत्पादन के लिए कच्चे माल की सप्लाई की जाएगी। प्रदेश के नालागढ़ में 663 बीघा जमीन पर इस पार्क को विकसित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह पहला मौका है जब हिमाचल में जीवन रक्षक दवाइयों के लिए कच्चा माल तैयार किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश में पहला बल्क ड्रग फार्मा पार्क स्थापित किया जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि दवाओं के लिए विदेशों से कच्चा माल मंगाना सुरक्षित नहीं माना जा रहा था। देश में कच्चे माल की मांग को पूरा करने के लिए उद्योग विभाग की यह अनूठी पहल दवाई निर्माता कंपनियों के लिए मील का पत्थर साबित होगी और वह देश में रह कर अपनी इस मांग को पूरा कर सकेंगे। उद्योग विभाग के निदेशक राजेश शर्मा ने बताया कि इस पार्क को विकसित करने के लिए सभी तरह की एनओसी विभाग को मिल गई है। जमीन उद्योग विभाग के नाम ट्रांसफर होने का मामला राजस्व विभाग को मंजूरी के लिए भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही जमीन भी उद्योग विभाग के नाम हो जाएगी। उन्होंने बताया कि उद्योग विभाग का यह प्रोजेक्ट 1000 करोड़ का है। इसमें उद्योग विभाग प्लाट विकसित करेगा और ड्रग फार्मा कंपनियों को आवंटित करेगा। देश में दवाइयों का उत्पादन भारी मात्रा में होता है। ऐसे में ड्रग फार्मा पार्क प्रदेश के लिए मिल का पत्थर साबित होगा।
इससे प्रदेश के हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिलने की नई किरण दिखाई देने लगी है। कच्चा माल यहीं तैयार होने पर प्रदेश दवाइयों के उत्पादन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगा। ड्रग फार्मा पार्क योजना को उन निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद माना जा रहा है, जो प्रदेश में आकर दवाइयों के लिए कच्चा माल बनाना चाहते हैं, लेकिन जमीन नहीं मिलने से उनकी यह योजना आगे नहीं बढ़ पा रही है। विभाग के इस प्रयास से प्रदेश में दवाई निर्माता और कच्चा माल तैयार करने वाली कंपनियों को काफी लाभ मिलेगा। इस पार्क के विकसित होने पर उद्योग विभाग कंपनियों के लिए सडक़, बिजली, सीवरेज, ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधाएं भी प्रदान करेगा ताकि निवेशकों को किसी भी तरह की समस्या न आए।