रायपुर (छग)। कैल्शियम और ऑयरन की सप्लाई करने वाली फार्मा कंपनी ने आपूर्ति बंद कर दी है। इसके चलते चार दिनों से जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कैल्शियम की दवाएं नहीं मिल रही हैं। स्वास्थ्य विभाग में भी खलबली मच गई है। सीजीएमएससी ने एक हफ्ते पहले ही टेंडर निकाले, लेकिन अभी तक कंपनियों के रेट नहीं आने से फाइनल नहीं हो सके हैं। विभागीय दावा है कि जल्द ही टेंडर फाइनल होते ही दवाओं की आपूर्ति अस्पतालों में कर दी जाएगी। बहरहाल, सबसे अधिक दिक्कत ग्रामीण अंचलों के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में है, क्योंकि यहां कैल्शियम और आयरन के टेबलेट की डिमांड अधिक है। ऐसे में डॉक्टर भी मजबूरी में बाजार के मेडिकल स्टोटर्स से दवा खरीदने के लिए लिख रहे हैं। इनके रेट काफी ज्यादा हंै। बताया जा रहा है कि कंपनी ने अब पुराने रेट पर दवा की आपूर्ति करने में हाथ खड़े कर दिए हैं। लेकिन नियम और शर्तों को तोडऩे पर उसे फिर से टेंडर की प्रक्रिया में शामिल नहीं होने के लिए ब्लैक लिस्टेड भी कर दिया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक अभी बचे हुए स्टॉक लगभग खत्म हो गए हैं। इससे पूरे प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में कैल्शियम और आयरन की टेबलेट खत्म हो चुके हैं। जिला अस्पताल सहित सामुदायिक केंद्रों में लोकल दवाओं की खरीदी नहीं करने से दिक्कतें बढ़ी हैं। हालात ये है कि अभी सरकारी अस्पताल आपूर्ति होने के इंतजार में है। प्रभारी चिकित्सक ने बताया कि जरूरी दवाओं को बेहद अभाव है। करीब ऐसी जरूरी 200 दवाएं हैं, जिनकी सप्लाई नहीं होने से लोगों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हंै। बता दें कि कम रेट डालने वाली दो कंपनियों ने मल्टी विटामिन की अमानक कैल्शियम और आयरन अन्य दवाओं की सप्लाई हुई थी। इसके बाद दो कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। जांच में पता चला था कि टेंडर फाइनल करने के लिए कंपनियों ने कम रेट डाले थे। इसकी आड़ में जमकर दवा की आपूर्ति में खेल चला था। बहरहाल, अब ड्रग विभाग की जांच के बाद ही अस्पतालों में आपूर्ति के प्रावधान हैं। उधर, सीजीएमएससी के एमडी भुवनेश यादव का कहना है कि जिस कंपनी को टेंडर हुआ था, उसने कैल्शियम और ऑयरन की सप्लाई करना ही बंद कर दिया है। दो पत्र भी लिखे लेकिन जवाब नहीं मिलने से इसके लिए नया टेंडर खोला गया है। अभी रेट नहीं मिल पाया है। जल्द ही फाइनल कर दिया जाएगा।