नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल्स से अपने मुख्य वितरक और सहायक इकाई आदित्य मेडीसेल्स (एएमएल) के माध्यम से 42 हजार करोड़ रुपए की कथित हेराफेरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है।
नियामक ने सन फार्मा से एएमएल के परिचालन के साथ ही दवा कंपनी तथा एएमएल के बीच हुए करार का ब्योरा मांगा है। नियामक ने एएमएल को दिए गए कर्ज की ताॢककता, नियम एवं शर्तों की भी जानकारी मांगी है। एएमएल दवा वितरण कंपनी है और इसे सन फार्मा द्वारा प्रवर्तक की शेयरधारक के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। गौरतलब है कि 31 दिसंबर को सन फार्मा में इसकी 1.6 फीसदी हिस्सेदारी थी। सन फार्मा के घरेलू फॉर्मूलेशन कारोबार का वितरण पूरी तरह से यही कंपनी करती है। सन फार्मा ने 2018 में इसे संबंधित पक्ष घोषित किया था। व्हिसलब्लोअर द्वारा सेबी को भेजे गए शिकायत पत्र में 42 हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी करने तथा 10 हजार करोड़ रुपए व्यक्तिगत लाभ लेने के गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद नियामक ने कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है। पत्र में दवा वितरक पर रियल एस्टेट कंपनी के साथ हजारों करोड़ रुपये के लेनदेन का भी आरोप लगाया है। उक्त रियल एस्टेट कंपनी का नियंत्रण सन फार्मा के बोर्ड में शामिल एक निदेशक के हाथों में है।
इस बारे में पूछे जाने पर सन फार्मा के प्रवक्ता ने ईमेल से भेजे जवाब में कहा कि हमें व्हिसलब्लोअर के दस्तावेज नहीं मिले हैं। सेबी ने हमसे आदित्य मेडीसेल्स के साथ किए गए लेनदेन के बारे में जानकारी मांगी है। हमने सेबी को जानकारी दे दी है। सूत्रों का कहना है कि सन फार्मा ने सभी आरोपों से इनकार किया है और नियामक के हर सवालों का जवाब मुहैया करा दिया है। उनके अनुसार कंपनी ने आरोपों को आधारहीन और फर्जी करार देते हुए इसे सिरे से खारिज किया है।
पैसों की हेराफेरी के आरोप पर दवा कंपनी ने कहा कि एएमएल पिछले पांच वर्षों से 10 से 30 करोड़ रुपये का कर बाद मुनाफा कमा रही है। जब भी जरूरत पड़ी है एएमएल के वित्तीय विवरण कंपनी पंजीयक और अन्य प्राधिकरणों को सौंपे गए हैं। कंपनी ने वित्त वर्ष 2013 से 2018 के पांच साल के एएमएल के टर्नओवर के आंकड़े भी संलग्न किए हैं। इसके अनुसार वित्त वर्ष 2018 में इसने 8,000 करोड़ रुपये से थोड़ा ज्यादा कारोबार किया है। वित्त वर्ष 2017 में इसका कारोबार 7,800 करोड़ रुपये का था। सेबी ने कंपनी सेे एएमएल और सन फार्मा के बीच व्यापार करार के बारे में भी जानकारी मांगी थी। आमतौर पर वितरक थर्ड-पार्टी होता है, जो विनिर्माता से दवा खरीदकर उसे ग्राहकों को मार्जिन पर बेचता है। हालांकि इस मामले में सन फार्मा जिस वितरक के साथ काम कर रही है वह उसकी सहायक इकाई भी है जिससे संदेह पैदा होता है। इस बारे में कंपनी ने स्पष्ट किया कि एएमएल सीएफए के तहत परिचालन करती है और उसके पास विभिन्न जगहों पर पहुंच के लिए समुचित ड्रग लाइसेंस है।
सेबी को भेजे गए जवाब में दोनों के बीच हुए समझौते तथा एजेंटों के साथ एएमएल के करार की प्रति भी सौंपी गई है। सेबी ने सन फार्मा द्वारा कर्मचारियों को दिए गए 425 करोड़ रुपये के कर्ज तथा एएमएल के साथ अन्य लेनदेन को लेकर निवेशकों की चिंता पर भी सवाल पूछे हैं। इस बारे में सन ने कहा कि कर्ज और एएमएल को तथा इसकी ओर से दी गई रकम का ब्योरा सौंप दिया गया है। कर्ज भुगतान के साथ ही बैंक का विवरण भी साक्ष्य के तौर पर दिया गया है। सन ने कहा कि एएमएल उनसे दवा खरीदती है और उसे स्टॉकिस्टों को देती है। इसके एवज में एएमएल दवा कंपनी को व्यापार सौदे के तहत भुगतान करती है। हालांकि भुगतान में देरी के मामले में वह एएमएल से ब्याज भी वसूलती है। दवा कंपनी की ओर से जारी बिल के भुगतान में कभी चूक नहीं हुई है, इस तरह सन फार्मा के शेयरधारकों के हितों की सुरक्षा की जा रही है।