गोरखपुर। दवा दुकानदारों के लिए बेहद जरूरी खबर है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (सीबीएन) की तरफ से नई गाइडलाइन जारी की गई है। इसके तहत अब दवा दुकानदारों को हर तीसरे महीने खरीद व बिक्री का डॉटा ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड नहीं करना पड़ेगा, लेकिन उन्हें सभी दवाओं का हिसाब अपने रिकॉर्ड में अपडेट रखना होगा। यह कदम नशीली दवाइयों का धंधा रोकने के लिए उठाया गया है।
यह है मामला
कई रोगों की दवाइयां नशे के विकल्प के तौर पर भी इस्तेमाल हो रही हैं। अब नशेड़ी लोग दर्द निवारक दवाओं का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने करीब 300 प्रकार की दवाइयों को नारकोटिक्स श्रेणी में शामिल किया है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स ने नारकोटिक्स दवाइयों के धंधे पर रोक लगाने के लिए निर्णय लिया था कि दवा निर्माता व विक्रेता हर तीसरे महीने अपने क्रय-विक्रय ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड कराएंगे। इसके लिए इन्हें पोर्टल पर पंजीकरण कराना भी अनिवार्य किया गया था।
इससे दवा दुकानदारों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। दवा दुकानदारोंं का कहना था कि नारकोटिक्स श्रेणी में चिह्नित एक-एक दवा का तीन महीने तक रिकॉर्ड रखने और उसे पोर्टल पर अपलोड करने के लिए एक अतिरिक्त कर्मचारी की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा इससे इंस्पेक्टर राज की वापसी होगी। दुकानों की जांच के नाम पर अवैध वसूली होगी। इसको लेकर दवा विक्रेताओं के संगठन ने सीबीएन कमिश्नर को भी पत्र सौंपा था।
नियमावली में किया संशोधन
अब इस नियमावली में संशोधन करते हुए दवा दुकानदारों को पोर्टल पर डॉटा अपलोड करने से छूट दी है, लेकिन उन्हें दवा का पूरा हिसाब रखना होगा। दवा दुकानदार बिना डॉक्टर की पर्र्ची के किसी को दवा नहीं बेचेंगे। हर दुकान पर नारकोटिक्स श्रेणी की दवा की खरीद व बिक्री से संबंधित बिल जरूर रखना होगा। इससे जांच में आसानी होगी।
दवा विक्रेता समिति गोरखपुर के महामंत्री आलोक चौरसिया का कहना है कि दवा विक्रेताओं के लिए हर तीसरे महीने पोर्टल पर डॉटा अपलोड करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। नए नियम से दुकानदारों को भी राहत मिलेगी।