गुरुग्राम। जब से केंद्र सरकार ने जीएसटी लगाना शुरू किया, उसी दिन से दवा निर्माताओं ने जीएसटी का तोड़ निकालकर इस पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया। इस संबंध में रोज नए खुलासे देखने व सुनने को मिल रहे हैं। हाल ही में गुरुग्राम के जागरूक थोक दवा विक्रेताओं के माध्यम से मामला सार्वजनिक हुआ कि निर्माता थोक दवा विक्रेताओं के नाम बिल जारी कर उनके नाम 30 फीसदी का मुनाफा डाल देते हैं।
अब यह 30 फीसदी में से कितना हिस्सा थोक दवा विक्रेता कंपनी को वापस भेजता है, यह जानकारी मात्र मेडिकल रिप्रजेंटेटिव, एरिया मैनेजर, जोनल मैनेजर तक ही सीमित रहती है। 30 फीसदी कहां-कहां कितना कितना खपता है। जब चिकित्सक से संबंधित कंपनी के उत्पादों की उपलब्धता व उसकी लिक्विडेशन के बारे जानकारी लेनी चाही तो दो चिकित्सकों ने बताया कि उन्हें भी ऐसी जानकारी मिली है कि कुछ बिलों में उनका नाम भी दर्शाया जा रहा है।
शीघ्र ही अवलोकन कर मामला सरकार के संज्ञान में लाया जाएगा ताकि उनके नाम से चल रहे अवैध गोरखधंधे से सरकार को लगने वाले चूने की सरकार निजी स्तर पर कार्यवाही कर सरकारी खजाने में लग रहे बट्टे को रोका जा सके तथा सरकार के कोष में धन की बढ़ोतरी हो पाए तथा डॉक्टरों के नाम से अवैध कागजों में व्यापार करने वालों को कड़ी सजा मिल सके। चिकित्सकों ने बताया कि वह इस प्रयास में हैं कि वित्त मंत्रालय को निजी स्तर पर मिलकर मामला उनके संज्ञान में लाएंगे ताकि ठोस कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त हो सके।