अलीगढ़ (यू.पी): जीएसटी में डॉक्टर्स की फीस, अस्पताल के खर्चो को बाहर रखा गया है, लेकिन दवा पर 28 फीसद टैक्स मरीजों का दर्द बढ़ाएगा। एक जुलाई से 761 तरह की दवाएं जीएसटी के दायरे में आ गई हैं। इनमें 85-90 फीसद दवाएं महंगी हो रही हैं। जो दवाएं सस्ती हुई हैं, वे प्रचलन में काफी कम है। पूर्व में 5, 9, 12 तथा18 फीसदी तक टैक्स था, जो अब क्रमश: 12, 12, 18 और 28 फीसदी हो गया है।
इससे मल्टीनेशनल दवा कंपनी, थोक दवा विक्रेता और रिटेलर्स के बीच मार्जिंन का नया विवाद खड़ा हो गया है। शिकायत है कि थोक विके्रता टैक्स चोरी के इरादे से बचाए गए पुराने स्टॉक की अनबिलिंग बिक्री कर रहे हैं। इससे मरीजों को ये ज्यादातर दवाएं पुरानी एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) पर ही मिल रही है, जबकि रिटेलर्स से जीएसटी वसूला जा रहा है। रिटेलर्स का कहना है कि जैसे ही नया स्टॉक आएगा, मरीजों पर जीएसटी का भार बढ़ जाएगा। गर्भ निरोधक दवा पर 0 फीसदी, मलेरिया की दवा पर 5, इंसुलिन पर 5, उच्च रक्तचाप, मधुमेह की दवा (गोली) व हार्ट से संबंधित तथा अन्य बीमारियों की दवा पर 12 फीसदी, सर्जिकल, फूड्स एवं मल्टी विटामिन पर 18 फीसदी (पहले 12 फीसदी) तक, कास्मेटिक पर 28 फीसदी (पहले 18 फीसदी) टैक्स लगाया गया है। कैंसर की दवा पर जीएसटी नहीं लगाया गया है।