बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के दवा बाजारों में अमानक दवाओं की सप्लाई जारी है। कंपनियों के दावों के मुताबिक इनमें स्टैंटर्ड क्वालिटी कम पाई जा रही है। इसके चलते मरीजों के शरीर में खुजली और दूसरे मामले सामने आ रहे हैं। अस्थमा और एंटी एलर्जी में ली जाने वाली दवा मोन्टेक और सीट्रजीन की दवाएं भी मापदंडों पर खरा नहीं उतर सकी हैं। इसके सैंपल रायपुर और बालौद से लिए गए थे। सरकारी लैब से जांच रिपोर्ट में दवा के अमानक होने की पुष्टि भी कर दी गई है।
इससे पहले भी ऑपरेशन के दौरान मरीजों के अंग को शून्य की स्थिति में लाने वाली लिग्नोकेन दवा भी जांच में अमानक मिल चुकी है। इसके अलावा दर्द में इस्तेमाल होने वाली डाइक्लोफेनिक भी गुणवत्ता पर खरी नहीं उतर पाई है। यही नहीं, मानसिक रोगियों को नींद देने वाली दवा डाइजापाम की गुणवत्ता पर भी संदेह जताया गया है। इसके कोई 16 हजार एंपुल सप्लाई से रोक दिए गए हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के मुताबिक फार्मा कंपनी ने सप्लाई के दौरान रैपर से जुड़े कई तरह के नियमों को तोड़ा है। इसके चलते संबंधित कंपनी को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा गया है।
कॉर्पोरेशन की ओर से हर साल दवाओं की टेस्टिंग में ही 40-40 लाख खर्च किए जाते हैं। जिला अस्पतालों में जो दवा मरीजों को साइड इफेक्ट कर रही थी, उसकी गुणवत्ता की भी जांच करवायी गई थी। कॉर्पोरेशन के अफसरों की ओर से दावा किया जाता है कि सभी दवाओं की लेबोरेट्री जांच के बाद ही उसे सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए सप्लाई की जाती है। सीरप हो या टेबलेट, इंजेक्शन हो या दूसरे सामान। सरकार ने ऐसी व्यवस्था तैयार नहीं की है, जिससे तत्काल में इन गड़बड़ी को पकड़ा जा सके। हैरानी यह है कि डाइजापाम को सीजीएमएसी ने खुद ही लैब में टेस्ट कराया है। फिर भी उन्हें रैपर में गड़बड़ी नहीं दिखी। ऐसा क्यों हुआ, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। बिलासपुर के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर राजेश क्षत्रिय का कहना है कि बिलासपुर में दवाओं की जांच लगातार जारी है। अभी रायपुर और बालौद से सैंपल उठाए गए हैं। वहां अस्थमा के लिए इस्तेमाल मोंटेक और एंटी एलर्जी में यूज सिट्रजीन अपने मापदंडों पर खरा नहीं उतर सकी है। रायपुर से पत्र मिला है। बिलासपुर में कई जगहों पर इन दवाओं की जांच चल रही है। किसी भी मेडिकल होलसेलर के यहां यह मिला तो इसे जब्त कर कंपनी को लौटाने की कार्रवाई करेंगे।