शिमला। हिमाचल प्रदेश के पांच हजार दवा विक्रेताओं के लिए अब खाद्य लाइसेंस बनाना अनिवार्य होगा। अगर किसी दवा विक्रेता के पास लाइसेंस नहीं होगा तो उसे छह माह की कैद और पांच लाख रुपये तक जुर्माने की सजा होगी। दरअसल दवा विक्रेताओं का फूड लाइसेंस एक साल के लिए मान्य होगा। इसकी प्रोसेस फीस 2 हजार रुपये होगी, जबकि रजिस्ट्रेशन फीस सौ रुपये होंगी।

दवा विक्रेताओं के लिए फूड लाइसेंस बनाने के लिए 2011 में प्रावधान किया गया था, लेकिन दवा विक्रेता इस लाइसेंस को बनाने को तरजीह नहीं देते थे। अब इसे जरूरी कर दिया गया है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन विभाग ने सभी संचालकों को लाइसेंस बनाने के निर्देश जारी किए हैं। विभाग का कहना है कि दुकानों पर बिकने वाले मल्टी विटामिन, न्यूट्रीशियन और हेल्थ सप्लीमेंट फूड की श्रेणी में पाए जाते हैं। लिहाजा फूड लाइसेंस न होने के कारण इसे सार्वजनिक तौर पर नहीं बेचा जा सकता है।

तो वहीं स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन विभाग की सह आयुक्त डॉ. विजया ने बताया कि दवा विक्रेता फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की साइट पर ऑनलाइन लाइसेंस बनवा सकते हैं। स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन विभाग के नए निर्देश जारी होने के बाद इन संचालकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एसोसिएशन का कहना है कि ड्रग लाइसेंस के साथ-साथ उन्हें अब फूड लाइसेंस बनाने के चक्कर भी काटने होंगे। शिमला शहर में यह संख्या पांच सौ से अधिक है। हिमाचल प्रदेश सोसायटी ऑफ केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव पंडित ने बताया कि विभाग के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। सभी दवा विक्रेताओं को फूड लाइसेंस के बारे में अवगत करवा दिया है।