प्रयागराज। अब दवा को सूंघकर फेफड़े के कैंसर का उपचार संभव बताया जा रहा है। कैंसर जैसी घातक बीमारी का नाम सुनकर ही डर जाते है। हालांकि इसका इलाज भी काफी महंगा होता है। असाध्य माने जाने वाले कैंसर की दवाएं और इलाज की तकनीक न सिर्फ बेहद महंगी हैं बल्कि शरीर पर इनका साइड इफेक्ट भी बहुत होता है। लेकिन अब इनहेलेशन (अंत:श्वसन) विधि से लंग कैंसर यानी फेफड़े के कैंसर का जल्द, बेहतर और असरदार उपचार संभव हो सकेगा। मरीज श्वांस द्वारा दवा का सेवन कर सकेंगे। यह इलाज नवीनतम नैनोटेक्नोलॉजी तकनीक पर आधारित होगा।
खास बात है कि यह दवा केवल कैंसर सेल की पहचानकर उन्हें ही नष्ट करेगी। इससे उसके आसपास स्थित स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचेगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अवध बिहारी यादव के नवीतम शोध से यह संभव होगा। डॉ. यादव ने एक ऐसे नैनोपॉर्टिकल का विकास किया है जो दवा की सही मात्रा फेफड़ों के अंदर स्थित कैंसर सेल तक सीधा पहुंचाकर उसे नष्ट करने में सक्षम है।
डॉ. यादव ने बताया कि जल्द, बेहतर और असरदार तरीके से फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए विशेष प्रकार का अति सूक्षम नैनो पॉर्टिकल तैयार किया गया है। यह नाक अथवा मुंह के जरिए दवा को सीधे फेफड़े में ले जाकर कैंसर सेल को नष्ट करने में सक्षम है। इस तकनीक में कैंसर की दवाएं इनहेलेशन से लिया जाएगा और इसमें इस्मॉल इंटरफेयरिंग राईबोज न्यूक्लिक अम्ल (एसआईआरएनए) डाला गया है जिसका साइड इफेक्ट बहुत कम होता है। इस तरह के नैनोपॉर्टिकल्स लंग कैंसर सेल की पहचान आसानी से कर लेते हैं। इस विधि से इलाज में स्वस्थ कोशिकाएं सुरक्षित रहेंगी। आम तौर पर कैंसर सेल के इलाज में स्वस्थ कोशिकाएं भी प्रभावित हो जाती हैं। डॉ. यादव ने बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी मंत्रालय (डीएसटी) की ओर से नैनो मिशन के तहत नैनोपॉर्टिकल तैयार किए जाने के लिए 54.72 लाख रुपये का अनुदान मिला था। तकरीबन काम पूरा हो गया है, जल्द ही मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी जाएगी।