रोहतक: दिल्ली ड्रग कंट्रोलर विभाग के ताजा आदेशों का राजधानी में कितना असर होगा यह तो आगे देखने वाली बात होगी लेकिन हरियाणा में हलचल अभी से शुरू हो गई। दरअसल, दिल्ली में ड्रग विभाग ने आदेश जारी किए हैं कि दवा विक्रेता अब मरीज को दवा देने के बाद पर्ची पर अपनी मुहर लगाएगा और हस्ताक्षर भी करेगा। ऐसा नहीं करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। बताते चलें कि हरियाणा में 70 प्रतिशत केमिस्ट शॉप बिना फार्मासिस्ट की उपस्थिति के चलती हैं।
        दवा दुकानों पर केवल फार्मासिस्ट का लाइसेंस होता है जो किराए पर लिया जाता है। सूत्रों की मानें तो शीघ्र ही ऐसा आदेश हरियाणा में भी आ सकता है और यदि ऐसा हुआ तो जीएसटी से प्रभावित दवा दुकानदारों के लिए यह दूसरी बड़ी आफत होगी। क्योंकि दवा देने का अधिकार फार्मासिस्ट को होता है।  दुकान मालिक मुहर तो लगा देगा लेकिन हस्ताक्षर करने में उसे परेशानी आ सकती है। क्योंकि उसने हस्ताक्षर किए तो कभी भी वह कार्रवाई की जद में आकर फंस सकता है। फिलहाल तो सुगबुगाहट से ही दवा विक्रेता और ड्रग विभाग में चर्चा है।
          जानकारों की मानें तो इस आदेश से बिना डॉक्टर की पर्ची के चलने वाले दवा धंधे पर भी काफी हद तक रोक लगेगी। देखने में आया है कि छोटे दवा दुकानदारों की इनकम का साधन कुछ ऐसी दवाईयां होती है जिन्हें बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं दिया जा सकता लेकिन इनका इस्तेमाल नशे के रूप में होता है। लिहाजा सेटिंग के चलते इन्हीं नशीली दवाओं की केमिस्ट शॉप सबसे ज्यादा बिक्री करता है और यही आमदनी का बड़ा साधन है। ये सब काम बिना कागजों के चलता है। मुहर और हस्ताक्षर वाला नियम आया और सख्ती से अमल हुआ तो ऐसी दवाओं की बिक्री रुक जाएगी। इससे ड्रग विभाग और दवा कारोबारियों के लेन-देन के परदे के पीछे वाले रिश्ते भी प्रभावित होंगे। देखते हैं क्या होता।