नई दिल्ली। देसी फार्मा बाजार में बीते साल की अवधि में उछाल दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवाइयोंं के दाम बढऩे का असर है। हालांकि, बिक्री होने वाली दवाओं की मात्रा में 0.9 फीसदी की कमी देखने को मिली है।

यह रही स्थिति

देसी फार्मास्युटिकल उद्योग का बाजार पिछले साल 6.8 फीसदी बढक़र 1.93 लाख करोड़ रुपये सालाना हो गया। बीते साल दिसंबर में मूविंग सालाना कारोबार यानी पिछले 12 महीने के कारोबार में कीमत वृद्धि 5.1 फीसदी रही। नए उत्पादों में वृद्धि 2.6 फीसदी रही। इस प्रकार कुल बिक्री में 0.9 फीसदी की कमी दर्ज की गई। आंकड़ों के अनुसार देसी फार्मा उद्योग में कुल 6.8 फीसदी वृद्धि देखी गई है।

इन रोगों की दवा रही डिमांड में

हृदय रोग, संक्रमण और पेट की बीमारियों के उपचार में काम आने वाली दवाओं की मांग सबसे ज्यादा रही। कुल कारोबार में मूल्य के लिहाज से हृदय रोग की दवाओं में 6.3 फीसदी, संक्रमण-रोधी दवा में 8 फीसदी और गैस्ट्रो की दवा में 5.2 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। देसी दवा उद्योग की कुल बिक्री में इन तीनों रोगों की दवाओं की हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी रही। मगर हृदय और गैस्ट्रो रोगों की दवाओं की बिक्री मात्रा के लिहाज से कम रही।

विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमण-रोधी दवा की बिक्री में 10.3 फीसदी इजाफा हुआ। कुल बिक्री में इसकी हिस्सेदारी ज्यादा रही। इससे पता चलता है कि श्रेणी की दवाओं की मांग बढ़ी है।

ऑग्मेंटिन दवा की बिक्री सबसे ज्यादा रही

ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मा (जीएसके) की ऑग्मेंटिन लगातार दूसरे साल इस श्रेणी में सबसे ज्यादा बिकने वाली दवा रही। 2023 में ऑग्मेंटिन की बिक्री 9.9 फीसदी बढक़र 804 करोड़ रुपये रही और मात्रा में करीब 12 फीसदी बढ़ोतरी हुई। इसे बच्चों में जीवाणु संक्रमण के अल्पावधि उपचार में दिया जाता है।

ये कंपनियां रही शीर्ष पर

जीएसके इंडिया के प्रवक्ता के अनुसार देसी बाजार में कुछ कंपनियों की बिक्री बढ़ी है और कुछ की कम हुई है। मैकलॉयड्स (12.1 फीसदी), एरिस्टो (11.2 फीसदी), मैनकाइंड फार्मा (11.1 फीसदी), सिप्ला (10.4 फीसदी) और यूएसवी (10.4 फीसदी) की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। फार्मा उद्योग में शीर्ष 5 पायदानों पर वे कंपनियां ही हैं, जो 2022 में थीं मगर बाकी कंपनियों का क्रम बदल गया है।

टॉरेंट फार्मा सातवें स्थान से उठकर छठे पर आ गई है और अलकेम आठवीं पायदान से चढक़र सातवीं पर पहुंच गई। इसी तरह ल्यूपिन छठे से फिसलकर आठवें स्थान पर रह गई। डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज 11वें से 12वें पर और यूवीएस 18वें पायदान से उछलकर 15वें पायदान पर पहुंच गई। कंपनियों का यह क्रम कीमत में उनकी बिक्री के लिहाज से है। बोनस यूनिट के बगैर सिप्ला तीसरे नंबर और मैनकाइंड चौथे नंबर की है।