नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की नई स्वास्थ्य नीति की घोषणा की। उन्होंने बताया कि नई स्वास्थ्य नीति गैर संक्रामक रोगों को कम करने में लाभकारी सिद्ध होगी। इसके तहत देश के हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। वहीं, गलत इलाज होने पर मरीजों की शिकायत और अन्य विवाद तेजी से निपटाने के लिए ट्रिब्यूनल गठित किए जाएंगे। स्वास्थ्य पर खर्च धीरे-धीरे बढ़ाकर जीडीपी का 2.5 फीसदी करने का भी लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि मौजूदा जीडीपी के अनुसार यह रकम 3.75 लाख करोड़ रु. बनती है। अभी यह खर्च जीडीपी का 2 फीसदी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी आयु वर्गों के लिए स्वास्थ्य का उच्चतम संभावित स्तर हासिल किया जाएगा। नई नीति मुफ्त दवाएं और निश्चित स्वास्थ्य सेवा देने के साथ ही जेब पर पडऩे वाला स्वास्थ्य खर्च भी कम करेगी। सरकारी अस्पतालों में दवाई, जांच इमरजेंसी सुविधाएं मुफ्त देने का प्रस्ताव है। पिछली स्वास्थ्य नीति में संक्रामक रोगों पर जोर था लेकिन 15 वर्षों में गैर-संक्रामक रोग भी घातक हो गए। 60 फीसदी मौतें इन्हीं की वजह से होती हैं। स्वास्थ्य खर्च भी इनके कारण बढ़़ा है। नई नीति में गैर-संक्रामक रोगों की रोकथाम और इनसे होने वाली मौतों का ग्राफ घटाने पर जोर रहेगा।


अकाल मृत्यु का ग्राफ करेंगे कम
हार्ट, कैंसर, डायबिटीज या सांस के पुराने रोगों से अकाल मृत्यु 2025 तक घटाकर 25 फीसदी पर लाने का लक्ष्य है। एचआईवी निराकरण के मोर्चे पर 2020 का वैश्विक लक्ष्य रखा गया है। साथ ही 2025 तक दृष्टिहीनता के केस घटाकर प्रति एक हजार 0.25 करने का भी लक्ष्य है। मरीजों की संख्या मौजूदा स्तर से घटाकर एक-तिहाई करने का लक्ष्य है। नई नीति में दो साल में तीन बीमारियों के उन्मूलन का लक्ष्य है। 2017 तक काला अजर लसिका फाइलरिसिस और 2018 तक कुष्ठ रोग का उन्मूलन करना है। टीबी के नए रोगियों की 85 फीसदी से अधिक इलाज दर हासिल करने और नए केस घटाने का भी लक्ष्य है।


क्वालिटी दवाओं का निर्माण करेगी सरकार
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत हर बीमारी के खात्मे का टारगेट बनाया जाएगा। छुआछूत मिटाने के लिए जनता और सरकार के बीच गैप कम किया जाएगा। वहीं, रोगियों को भी इतना सशक्त बनाया जाएगा ताकि जरूरत पडऩे पर वह दवाएं मांग सके। नड्डा ने कहा कि इस नीति के तहत सरकार क्वालिटी दवाओं का निर्माण करेगी और उसे आगे सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा।