पंचकूला। नशा मुक्ति को लेकर काम करने वाले या इलाज करने वालों को अब लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। इससे नशा मुक्ति से जुड़े एनजीओ और अस्पतालों की ओर से लिए जाने वाले फंड पर निगरानी रखी जा सकेगी। इसके अलावा व्यवस्थाओं में सुधार भी हो सकेगा। सरकार ने इसके लिए हरियाणा नशा मुक्ति नियम (संशोधन) नियम, 2018 बनाया है। एक राज्य स्तरीय कमेटी का गठन कर सरकारी और गैर-सरकारी सदस्यों को शामिल किया जाएगा। नशा मुक्ति केंद्र को पूरा रिकॉर्ड रखते हुए समय-समय पर सरकार को भेजना होगा।
मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 (1987 का केंद्रीय अधिनियम 14) तथा केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण नियम, 1990 के अधीन लाइसेंसधारक मनोविकृति नर्सिंग होम्स या अस्पतालों, जो नशे में लिप्त लोगों को उपचार दे रहे हैं तथा देखभाल कर रहे हैं, को लाइसेंस प्राप्त करने से छूट होगी। हालांकि, उन्हें स्वयं को लाइसेंसिंग प्राधिकरण में पंजीकृत करवाना होगा और निर्धारित प्रोफार्मा अर्थात मादक द्रव्य दुरुपयोग निगरानी प्रणाली में नशा मुक्ति मामलों का डाटा जमा करवाना होगा।