सहरसा। कफ सिरप का इस्तेमाल खांसी को ठीक करने के लिए किया जाता है। सरकारी प्रावधान के अनुसार बाजार में कोरेक्स, टोरेक्स, कफीना, फेंसिड्रिल, विसकॉफ आदि नाम से बिकने वाला कफ सिरप बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं दिया जाना है। परंतु दवा दुकानदार ही नहीं अन्य जगहों पर भी कफ सिरप बिकता है जिस कारण डॉक्टरी सलाह की जरूरत भी नहीं पड़ती है। चिकित्सक डा. आईडी सिंह कहते हैं कि इसका नियमित व अधिक मात्रा में सेवन घातक है। इस सिरप का अधिक इस्तेमाल करने से पहले उत्तेजना आती है और फिर पूरा शरीर सुस्त पड़ जाता है। इसका सीधा असर मस्तिष्क, किडनी, पेट, लीवर, लंग्स आदि पर होता है। जबकि शुगर लेवल अचानक बढ़ जाता है। कफ सिरप दवा के खुदरा बिक्रेता सौ बोतल व थोक विक्रेता एक हजार बोतल रख सकते हैं। लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के इसकी बिक्री नहीं की जा सकती है। ऐसा करने पर कार्रवाई हो सकती है। लेकिन कोसी इलाके में इससे खांसी तो नहीं ठीक हो रही है बल्कि इसका उपयोग नशे के रूप में किया जा रहा है। यही वजह है कि इस इलाके में दवा दुकानों में ही नहीं गांव-देहातों के छोटे-छोटे दुकानों में यह सिरप आसानी से उपलब्ध हो जाता है। कई बार पुलिस द्वारा बड़ी खेप पकड़ाने के बाद भी मामले में फंसे कारोबारी आसानी से बच निकलते हैं। दरअसल तीन दिन पहले बिहरा थाना क्षेत्र के नंदलाली से 256 बोतल कोडिनयुक्त कफ सिरप बरामद किया गया। इस मामले में एक आरोपित की गिरफ्तारी भी की गई। दरअसल मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर थाना क्षेत्र के रामपट्टी गांव से पुलिस ने 275 कार्टन कफ सिरप बरामद किया गया। इस मामले में मधेपुरा के दो दवा एजेंसी संचालक विमल कुमार वर्मा एवं एस फार्मा के संचालक रूपेश कुमार समेत दस लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई।