भोपाल। प्रतिबंधित दवाइयां बेचने वाली छह कंपनियां तीन माह के लिए प्रतिबंधित कर दी गई हैं। स्वास्थ्य विभाग प्रतिबंधित दवाओं की खरीद-फरोख्त करने वालों की धरपकड़ में जुटा हुआ है। अब तक की कार्रवाई में सूबे की छह दवा कंपनियों को 3 माह के लिए प्रतिबंधित किया जा चुका है। वडोदरा गुजरात की भारत पेरेन्ट्रल दवा कंपनी ने सेफेड्रोक्सिल टैबलेट 500 (एमजी) और कैल्शियम ग्लूकोनेट 10 मिग्रा. के ज्यादा रेट कोट किए। जेस्ट फार्मा इंदौर ने आइबूप्रोटेन टेबलेट (200 मिग्रा), टैरेल फार्मास्यूटिकल कांगड़ा हिमाचल प्रदेश ने सिल्वर सल्फेडाइजिन 500 ग्राम जार, अल्पा लैबोरेटरी इंदौर सिप्रो फ्लोक्सासिन 5 आई ड्रॉप, हीलर्स लैब लखनऊ मॉक्सी फ्लोक्सासिन टैबलेट (400 मिग्रा), नैन्ज मेडसाइंस फार्म सिरमौर हिमाचल प्रदेश ने सिल्वर सल्फाडाईजिन 500 के रेट डीपीसीओ से निर्धारित दरों से ज्यादा कोट किए। मप्र पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने इस गड़बड़ी को पकडऩे के बाद कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर जुर्माना लगाया है। गौरतलब है कि अस्पतालों में इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं, इंजेक्शन सहित अन्य मैटेरियल को औषधि प्रयोगशालाओं में टेस्ट कराया जाता है। देवास जिले के सीएमएचओ ने कंपनियों की सप्लाई की गई तीन दवाओं की जांच शासकीय विश्लेषक केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला मुंबई में कराई। इसके बाद दवाओं के बैच अमानक मिले। इसके बाद तीनों प्रोडक्ट को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर कंपनियों को बैच की राशि कॉर्पोरेशन को डीडी के माध्यम से जमा करने के आदेश दिए गए हैं। इन कंपनियों में नेस्टॉर फार्मास्यूटिकल लिमिटेड फरीदाबाद से सप्लाई की गई सिप्रोफ्लॉक्सासिन टैबलेट(250 मिग्रा) के बैच अमानक पाये जाने पर 2 लाख 24 हजार 478 रूपये का ड्राफ्ट जमा करने के आदेश दिये हैं। इसके साथ ही हेलवुड लैबोरेटरीज प्रा.लि. अहमदाबाद की ओर से भेजी गई दो दवाओं के बैच जांच में फेल होने पर 2 लाख 16 हजार 169 रूपये जमा कराने के आदेश दिए हैं।