रोहतक: अस्पताल/नर्सिंग होम की आड़ में दवाओं का मनमाना अवैध कारोबार करना कोई नई बात नहीं है। तमाम निजी चिकित्सा संस्थानों में खुले मेडिकल स्टोर में प्रोपगेंडा दवाओं की बिक्री के नाम पर खुली लूट होती है। पूरा हरियाणा इसका बड़ा उदाहरण है। इस छोटे खुशहाल प्रदेश में एकाएक प्राइवेट अस्पताल-क्लीनिकों की बाढ़-सी आ गई है। सबसे ज्यादा चर्चा रोहतक की होती है, क्योंकि यहां पीजीआई जैसा बड़ा चिकित्सा-शिक्षा एवं रिसर्च संस्थान है। फिर भी इसके चारों ओर प्राइवेट अस्पताल और मेडिकल स्टोर का जमावड़ा है।
खास बात यह कि इन तमाम अस्पतालों में पीजीआई से ही ज्यादातर मरीज पहुंचते हैं। मीडिया में कई बार पीजीआई और प्राइवेट अस्पतालों के बीच मिलीभगत की खबरें उछली हैं, मगर शासन और सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बयानों में तो आए दिन कहते हैं दवा कंपनी या प्राइवेट अस्पतालों से किसी भी तरह के लालची रिश्ते रखने वाले सरकारी डॉक्टर को बख्शा नहीं जाएगा। मगर सरकार के तीन साल के कार्यकाल में पीजीआई समेत राज्य के तमाम जिलों में सरकारी डॉक्टरों की इलाज में लापरवाही सामने आ चुकी है, उनके फार्मा कंपनियों से रिश्ते उजागर हो चुके हैं पर कार्रवाई के नाम पर शून्य। इतना ही नहीं, पीजीआई परिसर, खासकर आपातकालीन विभाग में मेडिकल स्टोर और प्राइवेट अस्पतालों के प्रतिनिधि खुलेआम दिनभर घूमते रहते हैं। पीजीआई प्रबंधन हमेशा ‘कार्रवाई करेंगे’ की बात कहकर किनारा कर लेता है। प्रबंधन के इसी रवैये से मरीजों की जेब पर डाका डालने का यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है।