इंदौर (मप्र)। फार्मेसी काउंसिल ने मरीजों का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सभी फार्मासिस्टों के लिए रिफ्रेशर कोर्स करना अनिवार्य कर दिया है। काउंसिल का मानना है कि प्रदेश के रजिस्टर्ड 55 हजार फार्मासिस्ट को नई दवाओं और उनके प्रभावों के बारे में जानकारी नहीं है। इनमें वे फार्मासिस्ट भी शामिल हैं, जिन्हें पुराने नियमों के आधार पर बीएससी या डिप्लोमा कोर्स करने के बाद मेडिकल खोलने की अनुमति दी गई थी। फार्मासिस्ट को एमपी ऑनलाइन के माध्यम से रिफ्रेशर कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। 55 हजार फार्मासिस्टों का एक साथ यह कोर्स कराना संभव नहीं है, इसलिए 200-200 लोगों के बैच बनाए जाएंगे। हर बैच को निर्धारित तारीख पर एक दिन के लिए भोपाल बुलाया जाएगा। वहां एम्स और फार्मेसी कॉलेजों को प्रोफेसर पढ़ाएंगे। कोर्स करने वाले फार्मासिस्टों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा। फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार सुरभी तिवारी ने बताया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने की दिशा में फार्मासिस्टों के लिए रिफ्रेशर कोर्स शुरू किया गया है। भोपाल में दो सौ लोगों का एक बैच बनाया है। इस कोर्स के लिए एम्स के डॉक्टरों के साथ फार्मेसी कॉलेजों को प्रोफेसरों को बुलाया जा रहा है। जल्द ही संभाग स्तर पर यह कोर्स कराया जाएगा।
शुरुआती बैच में शामिल फार्मासिस्टों को एम्स के डॉक्टरों ने कई महत्वपूर्ण बातों की जानकारी दी। साथ ही फस्र्ट लाइन ट्रीटमेंट पर जोर देने के लिए कहा। उन्हें बताया गया कि कई डॉक्टर सर्दी, खांसी और वायरल बुखार जैसी छोटी बीमारियों में अक्सर दवा के साथ एंटीबायोटिक भी लिख देते हैं, जबकि इन बीमारियों में एंटीबायोटिक देना जरूरी नहीं है। छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज में एंटीबायोटिक देने से मरीज का शरीर एंटीबायोटिक रजिस्टेंट हो जाता है। कुछ ऐसी दवाइयों के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर भी नहीं देना है। फार्मासिस्ट रामकरन पाटीदार और रोशन बारवाल ने बताया कि मरीज को हैबिट फॉर्मिंग ड्रग देने से यूरिन का रंग लाल हो जाता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। साथ ही मरीजों को दवा लेने के नियम और सावधानी के बारे में जानकारी देना है। जैसे निमोस्लाइड दवा लेने से मरीज के शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग होती है। यह दवा डॉक्टर के पर्चे पर भी नहीं देनी है।