नई दिल्ली। भारतीय फार्मा कंपनियां अब देश में ऐसी प्रतिबंधित या अनअप्रुवड दवाओं का भी निर्माण कर सकेंगी, जो दूसरे देशों में वैध है। इन्हें बनाने या इनके एक्सपोर्ट के लिए अब कंपनियों को सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर की मंजूरी नहीं लेनी होगी। फार्मा सेक्टर में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के इरादे से स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मा कंपनियों को ये बड़ी राहत दी है। नए नियमों से अब प्रतिबंधित दवा का निर्माण/निर्यात आसान होगा। इसके लिए अब केंद्रीय ड्रग कंट्रोलर से एनओसी नहीं लेनी होगी। स्टेट ड्रग कंट्रोलर की इजाजत से ही ये काम होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के ये आदेश आगामी 20 अगस्त से देशभर में लागू हो जाएंगे। ये नियम बैन दवा अथवा नई दवा के निर्यात पर लागू होंगे। इसके लिए कंपनियों के पास एक्सपोर्ट ऑर्डर होना जरूरी होगा। इसके अलावा निर्यात वाली दवा का क्वालिटी कंट्रोल टेस्ट भी जरूरी होगा। बैन दवा के भारत में बिकने पर कंपनी की जिम्मेदारी होगी। इसके साथ ही दवा निर्माण से जुड़ी सारी जानकारी रखना जरूरी होगा। नए नियमों से सिप्ला, ल्यूपिन, वॉकहार्ट्स, फाइजर, कैडिला को राहत मिलेगी। गौरतलब है कि देश में बैन या प्रतिबंधित दवा का कारोबार करीब 2000 करोड़ रुपये का है।