रायपुर: राज्य में मरीजों को मिलने वाली दवाओं में बहुत खोट है। यह बात औषधि विभाग की कार्रवाई में सामने आई। राज्य में आपूर्ति की जा रहीं जीवन रक्षक कई दवाएं मानकों पर खरी नहीं हैं। जानकारी के मुताबिक, खाद्य एवं औषधि विभाग ने पिछले 10 महीने में 45 से ज्यादादवाओं के सैंपल लिए। इनमें 13 सैंपल फेल पाए गए। जिन कंपनियों की दवाओं के सैंपल फेल हुए उनका निर्माण उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में होता था। स्वास्थ्य विभाग ने सभी दवा निर्माता कंपनियों को नोटिस जारी किया है। जांच रिपोर्ट ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) को भी भेजी गई है। डीजीसीआई की तरफ से जारी निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
वैसे राज्य में दवाओं में खोट के कारण स्वास्थ्य विभाग कई बार बड़ी घटनाओं का सामना कर चुका है। मामले न्यायालय और मुख्यमंत्री दरबार में भी खूब गूंजे हैं लेकिन दवा धंधे में ईमानदारी स्थापित नहीं हो पा रही है। सूत्रों की मानें तो दवा के नाम पर मुनाफे का काला कारोबार करने वाले व्यापारियों की ड्रग विभाग में बहुत गहरी सांठ-गांठ है। अभी तक ऐसे ठोस प्रयास कभी नहीं हुए, जिससे यह सांठ-गांठ टूट सके। औषधि विभाग की तमाम कार्रवाईयों पर गौर करें तो अकसर असली गुनहगार बच निकलते हैं। फेल होने वाली दवाओं में आईबुप्रोफेन 400 एमजी, पैरासिटामॉल-325 एमजी, एंटी कोल्ड टेबलेट, कोफुरा सनिप्रो-500 सिप्रोफ्लोक्सिन हाईड्रोक्लोराइड, सिप्रोफ्लोक्सिन टेबलेट, ओफ्लोक्सिन टेबलेट, एसीपी फोर्ट टेबलेट, कोफुरा रिलीफ रिक्सल, टोक्सेस आदि हैं। असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग हरेन पटेल ने कहा कि जिन कंपनियों के सैंपल फेल आए हैं उन पर सख्त कार्रवाई की तैयारी शुरू की जा चुकी है। दवा की आड़ में गोरखधंधा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।