अमेरिका। सामान्य एंटासिड दवा फैमोटिडिन को कोविड-19 के उपचार के लिए संभावित दवा के तौर पर देखा जाने लगा है। अमेरिकी बाजार में इस दवा की मांग में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई। कुछ विशेषज्ञ अमेरिकी बाजार में फैमोटिडिन की मांग में वृद्धि को बल्क ड्रग और फॉर्मूलेशन बनाने वाली एलेम्बिक और अरबिंदो फार्मा जैसी भारतीय दवा कंपनियों के लिए अवसर के तौर पर देख रहे हैं। भारत सरकार ने भी अमेरिकी बाजार में इस दवा की मांग पर संज्ञान लिया है। सरकार ने जन औषधि स्टोरों के लिए इस दवा की खरीदारी करने के अलावा अचानक निर्यात मांग बढऩे जैसी हालत से निपटने के लिए इसका भंडारण करने का निर्णय लिया है। हालांकि घरेलू बाजार में फिलहाल इस ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवा के लिए मांग में कोई उल्लेखनीय तेजी नहीं आई है।
भारतीय औषधि निर्यात संवद्र्धन परिषद के चेयरमैन दिनेश दुआ ने कहा, ‘फैमोटिडिन अगली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन हो सकती है। यह सस्ती दवा भी है जिसकी प्रति टैबलेट लागत करीब 40 पैसे है। हालांकि अध्ययन के नतीजे अभी तक सामने नहीं आए हैं। इसलिए उसकी प्रभावकारिता के बारे कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी।’यह काफी पुरानी एंटासिड दवा है और इसलिए सुरक्षा को लेकर उसका प्रोफाइल पहले से ही स्थापित है।
अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए ने फैमोटिडिन को किल्लत वाली दवाओं की सूची में रखा है। पिछले एक महीने के दौरान अमेरिकी बाजार में इस दवा की कमी दिख रही है। न्यूयॉर्क के नॉर्थवेल हेल्थ के अनुसंधानकर्ता कोविड-19 के संभावित उपचार के लिए रोगियों पर फैमोटिडिन का परीक्षण कर रहे हैं। अस्पताल द्वारा फैमोटिडिन के क्लीनिकल परीक्षण की घोषणा किए जाने के बाद बाजार में इस दवा की किल्लत दिखने लगी। अमेरिका में इस दवा की बिक्री पेप्सिड ब्रांड के तहत की जाती है।
नॉर्थवेल द्वारा इस दवा का परीक्षण अप्रैल के पहले सप्ताह में 1,174 रोगियों पर शुरू किया गया था। इसके नतीजे अगले कुछ सप्ताह में आने की उम्मीद है। द साइंस पत्रिका में छपी रिपोर्ट के अनुसार, नसों के जरिये रोगियों के शरीर में इस को डाला गया। इसकी शुरुआत चीन में हुई थी जहां कुछ डॉक्टरों ने पाया था कि अस्पताल में भर्ती होने वाले जो रोगी पहले से ही इस दवा का सेवन करते थे उनकी स्थिति दूसरों के मुकाबले बेहतर थी। अनुसंधानकर्ता यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या फैमोटिडिन खुद को खास तरह के उस प्रोटीन से जोड़ती है जो कोरोनावायरस को फैलने से रोकता है।
हालांकि घरेलू बाजार में फैमोटिडिन की मांग में फिलहाल कोई तेजी नहीं दिख रही है। औषधि उद्योग के एक सूत्र ने कहा, ‘यह काफी पुरानी दवा है और अब ओमेप्राजोल जैसी सामान्य एंटासिड दवा प्रोटोन पंप इनहिबिटर (पीपीआई) होती हैं। फैमोटिडिन एच2 ब्लॉकर की श्रेणी में आती है जहां रैनिटिडिन जैसी दवाएं मौजूद हैं। इसलिए इसकी मांग अधिक नहीं है। इसकी सालाना बिक्री करीब 40 करोड़ रुपये की है।’
भारत में बिकने वाली प्रमुख फैमोटिडिन दवा ब्रांड में सन फार्मा की फैमोसिड, ऐबट की फैमटेक, टॉरंट फार्मास्युटिकल्स की टॉपसिड और इंटास फार्मा की फासिड शामिल हैं। अमेरिकी बाजार को इस दवा का निर्यात करने वाली प्रमुख कंपनियों में एलेम्बिक और अरबिंदो फार्मा शामिल हैं। एलेम्बिक ने कहा कि वह इस दवा के लिए ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) का उत्पादन भी करती है और जरूरत पडऩे पर बाहर से भी सोर्स कर सकती है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारत पर्याप्त मात्रा में फैमोटिडिन का उत्पादन करती है।