नई दिल्ली
अगर बच्चों में मुंह से सांस लेने की आदत पड़ जाए, तो यह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसा होने पर बच्चे को मुंह के सूखेपन (ड्राई माउथ) की समस्या हो सकती है। दरअसल जब बच्चे मुंह से सांस लेते हैं, तो हवा उनके पूरे मुंह से गुजरती है और अपने साथ मॉइश्चर (नमी) को भी ले जाती है, जबकि मुंह को बैक्टीरिया से बचाने के लिए आपके मुंह में सलाइवा (थूक) की पर्याप्त मात्रा बेहद जरूरी है।

मुंह से जुड़ी कई समस्याओं का डर
सलाइवा की कमी के कारण मुंह की कई समस्याएं जैसे- कैविटीज, दांतों का इंफेक्शन, सांसों की बदबू आदि हो सकती हैं। बच्चे के चेहरे और दांतों का शेप भी बिगड़ सकता है। जब बच्चा लंबे समय तक मुंह से सांस लेता है, तो उसके रूप में ये परिवर्तन हो सकते हैं- चेहरा पतला और लंबा हो सकता है, दांत आड़े-टेढ़े हो सकते हैं, मुस्कुराते या हंसते समय मसूड़े दिखाई देने की समस्या आदि।

नहीं आती अच्छी नींद
आमतौर पर जो लोग मुंह से सांस लेते हैं, उन्हें अच्छी नींद नहीं आती है, जिसके कारण उनका शरीर सोने के बाद भी थका हुआ रहता है। कम नींद लेने से दिमाग कमजोर होता है और कई तरह की शारीरिक समस्याएं और खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।

हाई बीपी और हार्ट की बीमारियां
विशेषज्ञों के मुताबिक मुंह से सांस लेने के दौरान सही मात्रा में ऑक्सिजन शरीर में नहीं पहुंच पाती है, जिसके कारण धमनियों में ऑक्सिजन की कमी हो सकती है। ऑक्सिजन की कमी उसे हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का शिकार बना सकती है। इसके अलावा बच्चे को अनिद्रा की समस्या भी हो सकती है।

हो सकती है ऑक्सिजन की कमी
मुंह से सांस लेने पर सांस की नली सूख जाती है। इससे कुछ मात्रा में ऑक्सिजन अलविओली में खप जाती है। अलविओली श्वसनतंत्र का एक ऐसा हिस्सा है, जो ऑक्सिजन को कार्बन डाई ऑक्साइड के मॉलिक्यूल्स में बदलता है। इस कारण शरीर के बाकी अंगों तक वो सभी ऑक्सिजन नहीं पहुंच पाता है।