नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर जल्द ही नकेल डलने वाली है। मरीजों के बिल में दवा की ज्यादा कीमतों से लेकर अन्य तमाम तरह की गड़बड़ी पर रोक लगाने के मकसद दिल्ली सरकार ने 9 सदस्यों की एक्सपर्ट कमेटी बनाई और कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर एक ड्राफ्ट एडवाइजरी जारी की थी। सरकार को इस एडवाइजरी पर बहुत सारे सुझाव मिले हैं और प्रॉफिट की कैपिंग 50 पर्सेंट से भी कम रखने की मांग की गई है।

एडवाइजरी में कहा गया था कि नॉन-एनएलईएम दवाइयों के लिए खरीद मूल्य पर 50 पर्सेंट से ज्यादा मुनाफा नहीं वसूला जाना चाहिए। सरकार को मिले सुझाव में 50 पर्सेंट मुनाफा को कम करने की मांग की गई है। हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन का कहना है कि सरकार सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही एडवाइजरी पर फैसला ले लिया जाएगा। उसके बाद फाइनल नोटिफिकेशन जारी होगा। आम लोगों के लिए कंप्लेंट नंबर भी जारी किया जाएगा और उस नंबर पर नियमों को न मानने वाले अस्पताल के खिलाफ कंप्लेंट की जा सकेगी।

जानकारी के अनुसार सरकार को इंडस्ट्रियल बॉडीज और हॉस्पिटल्स की ओर से भी सुझाव मिले हैं कि एमआरपी पर ही दवा देने की मंजूरी दी जाए। लेकिन सरकार का कहना है कि 2 रुपये के ग्लव्स की एमआरपी 50 रुपये दिखाई जाती है और कन्स्यूमेबल या डिस्पोजेबल आइटम अगर 100 रुपये का होता है, तो एमआरपी 3000 होती है। ऐसे में एमआरपी पर ऐसी चीजें देने को किसी भी कीमत पर नहीं माना जा सकता। सूत्रों का कहना है कि प्रॉफिट की कैपिंग 50 पर्सेंट से कम भी की जा सकती है। लैब में होने वाले टेस्ट की कैपिंग को लेकर भी जल्द फैसला लिया जाएगा। सरकार ने एक सब-कमिटी बनाई है, जो केवल टेस्ट के रेट्स को लेकर सिफारिश देगी।

सब कमिटी अलग-अलग लैब्स और अस्पतालों में होने वाले टेस्ट के रेट्स को लेकर स्टडी करेगी और फिर बताएगी कि कौन से टेस्ट के लिए अधिकतम कितने रेट तय किए जा सकते हैं। अगर एक सर्जरी के बाद दूसरी सर्जरी की जरूरत होती है तो दूसरी सर्जरी के लिए 50 पर्सेंट रेट ही ले सकेंगे। इसके अलावा अस्पताल हाई रिस्क पैकेज देते हैं तो इस पैकेज के रेट नॉर्मल पैकेज से मैक्सिमम 20 पर्सेंट ही ज्यादा होंगे। अगर नॉर्मल पैकेज एक लाख का है तो हाई रिस्क पैकेज मैक्सिमम 1.20 लाख तक का ही हो सकता है। उसके बाद इलाज पर चाहे जितना भी खर्च हो, 1.20 लाख से ज्यादा नहीं लिया जा सकता।