Bihar: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसके नाम मात्र से ही लोग बुरी तरह से डर जाते हैं। जिन लोगों को ये बीमारी हो जाती है उन्हें तो ऐसा लगने लगता है कि अब शायद उनकी जिंदगी के बहुत कम दिन रह गए हैं। लेकिन आज हम बिहार (Bihar) के उस डॉक्टर के बारें में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने बेहतर इलाज के दम पर गंभीर कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज किया है। इलाज के बाद वो सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। इस डॉक्टर का नाम है डॉ शेखर केसरी।
कई लोगों को दी नई जिदंगी (Bihar)
डॉक्टर शेखर ने ऐसे कई लोगों को नई जिदंगी दी जो कैंसर से जूझ रहे थे। पूर्णिया के रहने वाले 71 वर्षीय मो. शाहिद परवेज नाक के कैंसर से पूरी तरह ऊबर चुके हैं। वे बताते हैं कि पटना के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. शेखर केसरी से इलाज के बाद वे बिल्कुल सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। मो. शाहिद ने कहा कि वे डॉ. केसरी के इलाज से बेइंतहां संतुष्ट हैं। अगर डॉ. केसरी न होते तो शायद मैं भी न होता।
इसी तरह से पटना की रहने वाली 60 वर्षीय बिसमिला खातून यूट्रेस की गंभीर बीमारी से ठीक हो चुकी हैं। खातून ने कहा कि उन्होंने न जाने कितने जगह इस बीमारी का इलाज कराया पर कहीं राहत नहीं मिली। आखिर में हम डॉ. शेखर केसरी के पास पहुंचे। उनके इलाज के बाद वो पूरी तरह ठीक हो चुकी हैं।
आरा के रहने वाले 52 वर्षीय शैलेश कुमार भोला को ब्रेन ट्यूमर हो गया था। वो तो अपने जीने की पूरी उम्मीद खो चुके थे। ऐसे वक्त में डॉ केसरी उनके लिए एक फरिश्ता बनकर आए। पारस अस्पताल के डॉ केसरी से उन्होंने इलाज करवाया और अब वो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं।
डॉ केसरी ने सैकड़ों कैंसर मरीजों को ठीक किया
ऐसे कई कैंसर पीड़ित मरीजों की कहानियां हैं जो अपनी जिदंगी की जंग हार चुके थे। ऐसे में डॉ केसरी ने बेहतर इलाज कर उन्हें नई जिदंगी दी। डॉ. शेखर केसरी ने कहा कि ज्यादातर केस में हम देखते हैं कि मरीज काफी इलाज और पैसा खर्च कर चुका होता है और उसका हौसला टूट चुका होता है। वह जब यहां पहुंचता है तो उसे भरोसा ही नहीं होता है कि वह ठीक हो पाएगा। लेकिन हम उन मरीजों की काउंसिलिंग करते हैं। उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि आप ठीक हो सकते हैं। उनका समुचित इलाज करते हैं और उन्हें ठीक करते हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि मरीज अगर पहले ही स्टेज में हमारे पास पहुंचें तो वे समय और पैसे की बर्बादी से बच सकते हैं। मरीज के इलाज में परेशानी भी कम होगी। मरीज यदि समय पर हमारे यहां पहुंचे तो हम उसे ऑपरेशन तक की स्थिति में भी जाने से बचाने की कोशिश करते हैं।
ये भी पढ़ें- गैबापेंटिन टैबलेट को मिली USFDA की मंजूरी