मेरठ: सरकारी डॉक्टरों द्वारा अस्पताल से बाहर की दवा लिखने और प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायतों पर गंभीरता दिखाते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सख्ती बरते जाने का संकेत दिया है। स्वास्थ्य विभाग की मंडलीय समीक्षा बैठक में उन्होंने दो टूक कहा कि लालच में उलझे डॉक्टरों को कार्रवाई का ‘चाबुक’ सहना पड़ेगा। किसी सूरत में ऐसे डॉक्टर बख्शे नहीं जाएंगे।

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में पीपीपी मॉडल के तहत राज्य में डायलेसिस सेंटर खोले जा रहे हैं। स्वाइन फ्लू पर काबू पाने के लिए जनता को जागरूक करने और रैपिड रिस्पांस टीम तैयार कर शहर-शहर, गांव-गांव भेजने के निर्देश दिए हैं। डॉक्टरों को साफ तौर पर कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में बनने वाले भोजन को स्वयं चेक करें। चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है।

स्पेशलिस्ट डाक्टरों की भर्ती कर रोस्टर अनुसार उनकी ड्यूटी निर्धारित की जाएगी। जिन डाक्टरों की नियुक्ति हुई है यदि वे कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं तो उन्हें नोटिस भेजे जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग की अपर निदेशक मंजू वैश्य शर्मा के मुताबिक, जिला अस्पताल मेरठ में लॉउंड्री शुरू हो गई है। डायलेसिस सेंटर भी खोले गए हैं। हापुड़ में 35 करोड़ की लागत से जिला अस्पताल बन रहा है। पिलखुवा और सिंभावली में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए जा रहे हैं।