नई दिल्ली। देश का फार्मास्युटिकल्स निर्यात 2017-18 में मात्र तीन प्रतिशत की वृद्धि के साथ 17.3 अरब डॉलर रहा। नियामकीय चिंता बढऩे तथा अमेरिका सहित वैश्विक बाजारों में कीमतों पर दबाव की वजह से फार्मा निर्यात उल्लेखनीय वृद्धि नहीं दर्ज कर पाया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में क्षेत्र का निर्यात घटकर 16.7 अरब डॉलर रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 16.9 अरब डॉलर था। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन के आयात अलर्ट, नियामकीय अड़चनें और मुद्रा में उतार-चढ़ाव की वजह से भी निर्यात तेजी से नहीं बढ़ पाया है। भारत के फार्मा निर्यात का प्रमुख गंतव्य अमेरिका है। उसके बाद ब्रिटेन का नंबर आता है। देश के कुल फार्मा निर्यात का 25 प्रतिशत अमेरिका भेजा जाता है। अन्य महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्यों में दक्षिण अफ्रीका, रूस, नाइजीरिया, ब्राजील और जर्मनी शामिल हैं। हालांकि, सरकार जापान और चीन को निर्यात बढ़ाने का प्रयास कर रही है लेकिन कड़ी पंजीकरण और नियामकीय प्रक्रियाओं की वजह से इसमें समस्या आ रही है। वित्त वष्र 2017-18 में देश का कुल निर्यात 303 अरब डॉलर रहा। इसमें फार्मा का हिस्सा छह प्रतिशत रहा।