लखनऊ। दुबग्गा में सब्जीमंडी स्थित जंगल की नालियों व आसपास बड़ी मात्रा में फेंकी गई नॉन एक्सपायरी सरकारी दवाओं के मिलने से अफरातफरी मच गई। पास से गुजरते राहगीरों ने जब इसे देखा और दवाओं के पैकेट उठाए तो सारे पैकेट नए थे और अच्छी कंडीशन में दवाएं पैक पड़ी थी। एक्सपायरी देखने पर दिसंबर 2021 से 2022 तक की तारीख लिखी गई थी। कई दवाओं के ऊपर फॉर गवर्नमेंट सप्लाई, नॉट फॉर सेल भी लिखा गया है। इससे साफ हो रहा है कि दवाएं किसी सरकारी अस्पताल से लाकर यहां फेंकी गई हैं।
एक ओर जहां मरीज सरकारी अस्पतालों में दवाओं से वंचित हैं, वहीं दूसरी तरफ इतनी बड़ी मात्रा में नॉन एक्सपायरी दवाएं फेंके जाने से स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठना लाजमी है। ड्रैग निरीक्षक -बृजेश कुमार ने बताया कि ‘दवाओं पर गवर्नमेंट सप्लाई नॉट फॉर सेल लिखा गया है। इसका मतलब है वह सरकारी अस्पताल की दवाएं हैं। इसलिए सीएमओ दफ्तर ही इस बारे में बता सकता है। शुक्रवार को सुबह नवीन फल व सब्जी मंडी के पीछे जॉगर्स पार्क जाने वाली रोड पर स्थित जंगल में बड़ी मात्रा में सरकारी दवा के ढेर देख कर राहगीर रुकने लगे।
फेंकी गई दवाओं में कोरोना के खिलाफ मजबूती से जंग लडऩे वाली मशहूर दवा आइवरमेक्टिन भी शामिल है। कोरोना के इलाज व बचाव में इस्तेमाल होने वाली यह दवा बेहद कारगर होने के साथ ही साथ महंगी भी है। एक वक्त लखनऊ के दवा बाजार में भारी मांग होने के चलते यह दवा गायब हो चुकी थी। इतनी बड़ी मात्रा में जंगलों में दवाएं फेंके जाने का मकसद अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इसके पीछे कोई बड़ा खेल होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
राहगीरों व आस पास के लोगों ने बताया कि गुरुवार को दवा यहाँ नही पड़ी थी। यह काम रात के अंधेरे में किया गया है। सीएमओ ‘ -डॉ संजय भटनागर के अनुसार ‘शुरुआती जानकारी में हमें पता चला है कि उसमें ज्यादातर में दवाएं नहीं थी, सिर्फ रैपर थे। दवा कहां से लाकर फेंकी गई व क्यों फेंकी गई?.. इस मामले की जांच कराई जाएगी। ड्रग विभाग को भी इस मामले को देखना चाहिए।