नई दिल्ली। कोरोना वायरस को मात देने के लिए प्रभावी उपचारों पर शोध के साथ ही मौजूदा दवाओं में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने बड़ों के साथ बच्चों को भी बुरी तरह से प्रभावित किया। बच्चों के लिए किसी तरह की वैक्सीन उपलब्ध न होने की वजह से स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई थी। हालांकि अब जाइडस कैडिला ने बच्चों की वैक्सीन तैयार कर ली है। कुछ जरूरी फॉर्मेलिटीज़ पूरी करने के बाद बच्चों को भी वैक्सीन देना शुरू कर दिया जाएगा। जिसमें अभी वक्त लग सकता है।

इसी कवायद में अब वैज्ञानिकों को एंटी- इंफ्लेमेट्री दवाओं में भी कोविड के उपचार की संभावना नजर आ रही है। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं ने यह बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के दो-तीन सप्ताह बाद कुछ बच्चों में तेज बुखार, पेटदर्द, उल्टी, लाल आंखें और शरीर पर लाल चकत्ते जैसे लक्षण नजर आते हैं। अध्ययन के मुताबिक, इस समस्या से प्रभावित कुछ बच्चों के हार्ट की ब्लड वेसेल्स में सूजन पाई गई है।

इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों के अनुसार कोर्टिकोस्टेरॉयड ग्रूप की दवाएं ऐसे बच्चों के इलाज में कारगर हो सकती हैं। ऐसी दवाओं का उपयोग इंफ्लेमेशन यानी सूजन को दूर करने के लिए किया जाता है। इंपीरियल कॉलेज की शोधकर्ता एलिजाबेथ व्हाइटकर का ऐसा मानना है कि, इस समस्या के इलाज में यह दवा प्रभावी हो सकती है। यह किफायती होने के साथ अधिकतर देशों में उपलब्ध भी है। अगर एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाओं से संक्रमित बच्चों की सेहत में सुधार के लक्षण नजर आते हैं तो वाकई यह सभी के लिए राहत की बात होगी।