रोहतक। संक्रमण, तंत्रिका तंत्र-घुटनों के दर्द, ह्रदय रोग, कैंसर, त्वचा रोगों और एचआईवी एड्स की रोकथाम के लिए एंटी वायरल थैरेपी को दवाइयों से ज्यादा असरदार पाया गया है। हरियाणा में केरल की तर्ज पर एंटी वायरल थैरेपी की जा रही है। अतुल्य बी मास्टर प्रोड्यूसर कंपनी लोगों को मधुमक्खी से कटवाकर ये थैरेपी दे रही है। हरियाणा में इस थैरेपी को प्रचलित करने का बीड़ा कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल झज्जर के मलिकपुर निवासी विनय फौगाट ने उठाया है। मार्च 2018 में हरियाणा सरकार के शहद रत्न अवार्ड से सम्मानित विनय एंटी वायरल थैरेपी को सरकार से मान्यता दिलाने के लिए भी जुटे हुए हैं। उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि कुरुक्षेत्र के रामनगर स्थित एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र के एक्सीलेंस सेंटर ने इस बारे में मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण दिलाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के लोगों को इस थैरेपी के बारे में अधिक से अधिक कैसे जागरूक करना है, कहां से प्रशिक्षण लेना है, इसका जिम्मा एक्सीलेंस सेंटर के अधिकारियों ने विनय पर ही छोड़ा है। विनय को ही पूरी कार्ययोजना तैयार करनी है कि एंटी वायरल थैरेपी के बारे में सबसे एडवांस प्रशिक्षण देश-विदेश में कहां से प्राप्त किया जा सकता है। विनय फौगाट ने बताया कि प्रदेश के लोग इस थैरेपी के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं हैं। बावजूद इसके उनके पास मलिकपुर में रोजाना दस से बारह मरीज थैरेपी कराने आते हैं। वह मुफ्त में थैरेपी देते हैं। विनय फौगाट ने बताया कि मधुमक्खी के जहर में मैलिटिन पाया जाता है। जब मधुमक्खी एक बार काटती है तो उसमें दस माइक्रोग्राम मैलिटिन निकलता है, जिसमें 2500 से 3000 लाभकारी तत्व होते हैं। ये तत्व घातक रोगों की रोकथाम करते हैं। इनमें एमीनो एसिड के अलावा पांच अन्य इंजाइम्स पाए जाते हैं, जो बीमारियों से लडक़र उन्हें खत्म करते हैं। केरल के बाद एंटी वायरल थैरेपी मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम व तमिलनाडु इत्यादि राज्यों में भी शुरू हो चुकी है। घुटनों के दर्द से पीडि़त लोगों को नौ से दस बार एंटी वायरल थैरेपी एक दिन के अंतराल के बाद दी जाती है। मधुमक्खी को पकडक़र घुटनों पर कटवाया जाता है। इससे मनुष्य के शरीर में रक्त का संचार उतना बढ़ जाता है, जितना दस किलोमीटर दौड़ लगाने पर बढ़ता है। थैरेपी से मनुष्य के घुटनों में मृत पड़ी कोशिकाएं भी खुल जाती हैं। विनय ने बताया कि उन्होंने इसकी ट्रेनिंग 2013 में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग की डॉ. निषिमा जायसवाल से ली थी।