नई दिल्ली। महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अक्सर गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं। इसके अनेक फायदे होने के साथ कुछ नुकसान भी हैं। ताजा शोध में पता चला है कि गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से महिलाओ में मर्दों जैसे लक्षण आने लगते हैं। गर्भ निरोधक गोली में नौ विभिन्न प्रकार के हार्मोन होते हैं। इनकी वजह से महिलाओं पर मर्दाना प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लेती हैं, उनका दिमाग एक पुरुष की तरह काम करता है और इस तरह की महिलाओं में व्यवहारिक परिवर्तन पाए गए। साथ ही महिलाओं के चेहरे में भी बदलाव देखे गए।
महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से मुंहासे, पसीने और अवांछित बालों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से महिलाओं के चेहरे पर पुरुषों की तरह बाल आने लगते हैं। वैज्ञानिकों ने इन ‘मर्दाना’ प्रभावों का पर अध्ययन किया और पाया कि वे सही हैं। कुछ प्रकार की गोलियां वास्तव में महिलाओं पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं। इन गोलियों का प्रभाव संवेदनशील महिलाओं पर अधिक पड़ता है। रिसर्च में पाया गया कि जो महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, उनमें नए शब्दों के बारे में सोचने की क्षमता कम होती है और वह बातों को आसानी से घुमा या बदल सकती हैं। ऐसी महिलाओं में चीजों को लेकर जागरुकता भी अधिक होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये सभी गुण पुरुषों में अधिक पाए जाते हैं।
इसके अलावा, भावनात्मक कहानियों को पुरुषों की तरह याद करती हैं। वह विवरण से अधिक जानकारी को याद करती है। इस तरह की महिलाएं, पुरुषों की तरह व्यक्ति की भावनाओं जैसे- गुस्सा, प्यार और दुख आदि को भी पहचान नहीं पाती हैं। इन गोलियों के प्रभाव से उनके चेहरे में बदलाव भी आ सकते हैं। सभी गोलियों में सिंथेटिक एस्ट्रोजन होता है, जिसमें महिलाओं वाले गुण पाए जाते हैं। इसका मतलब यह है कि वही महिलाएं एक ही समय में अपने दिमाग पर स्त्री और मर्दाना प्रभाव दोनों का अनुभव करती हैं। फोर्टिस अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मधु गोयल का कहना है कि बहुत कम महिलाओं पर गर्भनिरोधक गोलियों का ऐसा प्रभाव पड़ता है। अगर थोड़ी सावधानी के साथ इन गोलियों का सेवन किया जाए, तो इसके बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है। डॉ. मधु गोयल का कहना है कि एक बार किसी भी गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने से पहले किसी डॉक्टर से सलाह जरूर ले। अगर गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग से कोई परेशानी आती है, तो डॉक्टर के परामर्श से उन्हेें बदला जा सकता है। डॉक्टर महिला के अनुसार गर्भ निरोधक या उसके लेने के समय में बदलाव करने की सलाह देती है। हमें अक्सर बताया जाता है कि गोली में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन होता है। लेकिन किसी भी गोली में इस तरह का कोई हार्मोन नहीं पाया जाता है।
इसका कारण यह है कि मौखिक रूप से लिए जाने पर, एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन व्यावहारिक होने के लिए बहुत जल्दी टूट जाते हैं। इसकी जगह, गर्भनिरोधक गोलियों में कृत्रिम स्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन होते हैं, जो अधिक स्थिर हार्मोन से बने होते हैं और जो असली हार्मोन की तरह ही होते हैं। बाजार में संयुक्त गोली के प्रत्येक ब्रांड में सिंथेटिक एस्ट्रोजेन, एथिनिल एस्ट्रैडियोल और आठ सिंथेटिक प्रोजेस्टेरोनों में से एक होता है, जिसे प्रोजेस्टिन कहा जाता है। एथिनिल एस्ट्रैडियोल गर्भाशय में मौजूद अंडों को निषेचित होने से रोक देता है, जबकि प्रोजेस्टिन गर्भाशय के प्रवेश द्वार पर गर्भाशय को मोटा करते हैं और गर्भ को ठहरने नहीं देते। हालांकि, गर्भावस्था को रोकने में हार्मोन प्रभावी होते हैं, लेकिन वे हमारे प्राकृतिक हार्मोन के साथ सही से मिल नहीं पाते हैं। जिसके कारण इन सिंथेटिक हार्मोन का हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ये भी हो सकता है कि इसकी वजह से आपके शरीर में कभी प्राकृतिक प्रोजेस्टेरोन न बन पाए।