भिलाई दुर्ग (छग)। राज्य में प्रतिबंधित नशीली दवाएं तस्करों को सप्लाई करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस की दो टीमों ने दुर्ग नंदिनी रोड और अमलेश्वर में छापा मारकर तस्करों को पहुंचाई जा रही नशीली दवाओं की 60 हजार बोतलें पकड़ी। इनकी कीमत 9 लाख से ज्यादा की बताई गई है। पूरी खेप तस्करों के माध्यम से रायपुर में ही दोगुनी-तिगुनी कीमत पर बेचने की तैयारी थी। पुलिस की छापेमारी के बाद से दोनों मेडिकल स्टोर के संचालक फरार हो गए। पुलिस ने दोनों मेडिकल स्टोर्स को दवा बेचने वाले डिपो संचालक के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी है। गौरतलब है कि पुलिस राजधानी में बिकने वाली नशीली दवाओं के रैकेट तक पहुंचने के प्रयास लंबे समय से कर रही थी। सीएसपी डीसी पटेल ने बताया कि पुलिस ने दवा तस्करी में डिलीवरी ब्वॉय की भूमिका निभाने वाले साजिद तिगाला, भीम उर्फ सूरज सोनी, चुम्मन पटेल और पप्पू उर्फ प्रकाश चौहान को गिरफ्तार किया। आरोपी चारों युवकों के पास से 1,144 टेबलेट, 41 शीशी कफ सिरप बरामद किया गया। डाक्टरों की पर्ची के बिना मेडिकल स्टोर्स वाले ये दवा किसी को बेच नहीं सकते। आरोपियों ने पकड़े जाने के बाद पुलिस को गुमराह करने की कोशिश। उसके बाद पुलिस ने जांच की दिशा बदली और पता लगाया कि जिस कंपनी की सिरप पकड़ी गई है, उसका स्टॉकिस्ट कौन है?
कई दवा कारोबारियों से पूछताछ के बाद पता चला कि टाटीबंध स्थित तिरुपति फार्मा ही एक मात्र कंपनी है, जो पूरे प्रदेश में कफ सिरप सप्लाई करती है। फार्मा कंपनी के संचालक राजेश अग्रवाल हैं। पुलिस टाटीबंध स्थित कंपनी के दफ्तर गई। वहां दस्तावेजों की छानबीन के दौरान चौंकाने वाली जानकारी मिली। पुलिस को पता चला कि पूरे प्रदेश में भिलाई नंदिनी रोड पर स्थित चौहान मेडिकल स्टोर्स और अमलेश्वर का बायो हेल्थकेयर ही सबसे ज्यादा प्रतिबंधित कफ सिरप का आर्डर करते हैं। उनके यहां हर दूसरे-तीसरे दिन दवाओं की बड़ी खेप मंगवायी जाती है। उसके बाद पुलिस ने छापेमारी की। नशीली दवाओं के स्टॉक को मेडिकल स्टोर्स पहुंचने के पहले ही जब्त कर लिया। पुलिस को जांच के दौरान संकेत मिले हैं कि बायो हेल्थकेयर मेडिकल स्टोर्स का संचालक पिछले कुछ वर्षों से किसी भी तरह की दवा की खरीदी बिक्री नहीं कर रहा है। दुकान में उसने नाम मात्र का स्टॉक रखा है। वह केवल नशीली दवाएं मंगवाता था। प्रारंभिक जांच में दुकान में किसी भी दूसरी किस्म की दवाई की बिक्री या खरीदने की एंट्री नहीं है। उसके पास बिल या किसी तरह का दस्तावेज भी नहीं मिला। पुलिस अफसरों का मानना है कि संचालक केवल नशीली दवाएं ही बेच रहा था। बाकी सामान्य दवाइयां उसके मेडिकल में रहती ही नहीं थी। पुलिस को अब तक की जांच में पता चला है कि सिरप का एमआरपी रेट 120 रुपए है। एजेंटों को 50 रुपए में एक सिरप बेचा जाता है। वही सिरप तस्कर दो-ढाई सौ रुपए में बेचते हैं। नशेड़ी युवक कैप्सूल से ज्यादा सिरप को पसंद कर रहे हैं। अचानक सिरप कहीं नहीं मिलने पर नशेड़ी मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हो जाते हैं। तस्कर इसी का फायदा उठाते हैं। मुनाफा ज्यादा होने के कारण ही तस्कर जहरीला नशा बेच रहे हैं। पुलिस अफसरों के अनुसार तिरुपति फार्मा कंपनी सीधे फैक्ट्री से सिरप की खरीदी करती है। फार्मा कंपनी का कई बड़ी कंपनी से अनुबंध है। पुलिस व ड्रग्स विभाग ने फार्मा कंपनी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।