लखनऊ। नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों को अपने मेडिकल स्टोर पर ऐसी दवाएं रखनी होंगी, जो सभी स्टोर पर मिलती हों। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग अब दवा निर्माताओं और डीलरों के साथ मिलकर निजी मेडिकल स्टोर पर विशेष दवाएं उपलब्ध कराने के धंधे पर लगाम लगाएगा।
औषधि अनुज्ञापन एवं नियंत्रण अधिकारी एके जैन ने प्रदेशभर के ड्रग इंस्पेक्टर और सहायक आयुक्त औषधि को पत्र लिखा है। साथ ही, जिलों में तैनात अधिकारियों से कहा है कि ऐसे मेडिकल स्टोर का निरीक्षण करें। यह ध्यान रखें कि डॉक्टर मरीजों को जो दवाएं लिख रहे हैं वह उसके मेडिकल स्टोर के अलावा कहीं और मिल रही हैं कि नहीं। दरअसल, प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होम व क्लीनिक के मेडिकल स्टोर पर वही दवाएं मिलती हैं जो वहां के डॉक्टर पर्चे पर लिखते हैं। अन्य मेडिकल स्टोर पर ये दवाएं न मिलने से मरीजों को परेशानी होती है। ड्रग कंट्रोलर एके जैन ने प्रदेश के सभी ड्रग इंस्पेक्टर को निजी अस्पतालों, क्लीनिकों में संचालित फार्मेसी का निरीक्षण करने को कहा है। साथ ही डॉक्टरों द्वारा लिखी जा रही दवा कौन-कौन सी हैं, यह बाजार में मिलती हैं कि नहीं, इसकी रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इसमें नामी-गिरामी डॉक्टर के आस-पास खुले मेडिकल स्टोरों का भी ब्योरा जुटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यदि कोई दवा निर्माता या डीलर केवल निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक में चल रहे मेडिकल स्टोर के लिए दवाएं देता है तो उसके खिलाफ ड्रग प्राइस कंट्रोल आर्डर 2013 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाए। इस कार्रवाई की सूचना ड्रग इंस्पेक्टर और सहायक आयुक्त औषधि को हर माह मुख्यालय को देनी होगी।