कोलकाता (प. बंगाल)। कोलकाता जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ब्यूटी क्लिनिक वीएलसीसी को एक ग्राहक को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। पीडि़त ग्राहक ने वीएलसीसी से मोटापा कम करने के लिए उपचार लिया था। इससे उसे दूसरे दर्जे की बर्न इंजरी हो गई। उसने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में केस दर्ज कराया। आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि एक मरीज जो चिकित्सा में लापरवाही के कारण चोटिल हो गया है, वह मुआवजे का हकदार है। आयोग ने वीएलसीसी को फैट रिडक्शन प्रोसेस के लिए शिकायतकर्ता द्वारा दिए पैसे वापस करने के लिए कहा है। साथ ही एक लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश भी दिया। आयोग न कहा है कि वीएलसीसी ये साबित नहीं कर पाया कि जब मोटापा कम करने की प्रक्रिया शुरू की गई, तब कोई विशेषज्ञ/ डॉक्टर भी उपस्थित था। इसलिए ये सेवा में कमी का मामला है। हालांकि मामले में वीएलसीसी ने लापरवाही और सेवा में कमी के आरोपों से इनकार किया और कहा कि कि कॉस्मेटिक उपचार के नतीजे अलग-अलग व्यक्तियों के ऊपर अलग-अलग हो सकते हैं। उपचारोपरांत किसी प्रतिकूल प्रभाव का मतलब यह नहीं है कि लापरवाही से या गलत उपचार किया गया था। वीएलसीसी की ओर से दावा किया गया कि शिकायतकर्ता को उपचार की पूरी प्रक्रिया, उपचार बाद के प्रभावों और संभावित जटिलताओं से बखूगी अवगत कराया गया था। उसी को स्वीकार करते हुए उसने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। आयोग ने कहा कि क्लिनिक ने शिकायतकर्ता को लगातार आश्वासन दिया था कि किसी भी जटिलता से बचने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की सख्त निगरानी में उपचार किया जाएगा। हालांकि, कंपनी ऐसा साबित करने में असफल रही। कंपनी की ओर से सेवा में लापरवाही और कमी की गई है, इसलिए शिकायतकर्ता 2,00,069 रुपये के रिफंड का हकदार है।