देहरादून। देशभर में कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से राज्य की तकरीबन आधा फार्मा यूनिटें पिछले दो दिनों तक दवाओं का उत्पादन नहीं कर पाई। इससे राज्य के साथ ही पूरे देश में दवा संकट गहराने का खतरा हो गया है। हालांकि सरकार ने दवा कंपनियों को लॉक डाउन से पूरी तरह छूट दी है। लेकिन जिला प्रशासन, पुलिस की रोक-टोक से कर्मचारी काम पर नहीं जा पा रहे हैं। इसके अलावा दवाओं के ट्रांसपोर्ट में भी भारी दिक्कत आ रही है।
दवा कंपनियों का उत्पादन बहुत कम मात्रा में बाजार तक पहुंच पा रहा है। इसके अलावा कई बड़ी फार्मा कंपनियों का रॉ मैटीरियल ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से मुम्बई और गुजरात जैसी जगहों पर फंस गया है। यदि इन सभी समस्याओं का तत्काल समाधान नहीं किया गया तो आने वाले समय मे दवाओं की आपूर्ति प्रभावित हो होना तय है। इसका असर पूरे देश पर दिख सकता है। फार्मा कंपनियों के संचालकों ने बताया कि उनके पास अभी पर्याप्त मात्रा में रॉ मटीरियल है। लेकिन स्थानीय पुलिस और प्रशासन का सहयोग नहीं मिल पा रहा है। सुबह काम पर आने वाले कर्मचारियों को रोका जा रहा है। जबकि स्थानीय स्तर पर गाडिय़ों की आवाजाही भी नही हो पा रही है। कई दवा कंपनियों ने वाहन परमिट के लिए आवेदन किया है लेकिन स्थानीय प्रशासन का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा। फार्मा एसोसियन के पदाधिकारियों ने बताया कि राज्य में इस समय मुश्किल से 30 से 40 प्रतिशत क्षमता में ही दवाओं का उत्पादन हो पा रहा है। हालांकि यह उत्पादन पिछले दो दिनों से धीरे- धीरे सुधर रहा है। लेकिन बाजार की मांग के हिसाब से उत्पादन आजकल काफी कम है। चीन से रॉ मटीरियल की आपूर्ति में कमी से 30 प्रतिशत की गिरावट पहले से ही चल रही थी। लेकिन लॉक डाउन की वजह से उतपन्न हुई परिस्थितियों से उत्पादन में और गिरावट आ गयी है। राज्य में दवा आपूर्ति में उत्तराखंड की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत के करीब है। ऐसे में दवा उत्पादन में आने वाली गिरावट का सीधा असर देश की दवा आपूर्ति पर पड़ सकता है। ऐसे में राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश मे परेशानी खड़ी हो सकती है। फार्मा इंडस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार राज्य से सालभर में दुनिया के 38 देशों में तकरीबन एक हजार करोड़ की दवाओं का निर्यात होता है। हालांकि दावा निर्यात को फिलहाल केंद्र ने रोक दिया है। होलसेल केमिस्ट कारोबारियों ने लॉक डाउन के कारण सप्लाई बंद कर दी है। ऐसे में रिटेलर्स के सामने दवा का संकट खड़ा हो गया है। उनके पास जो दवा उपलब्ध है वे वही दवा लोगों को दे पा रहे हैं। जबकि भारी डिमांड के चलते फिर सेनेटाइजर और कई अन्य दवाओं की कमी हो रही है। राज्य में कुल 220 दवा कंपनियां हैं जो एक दिन में आठ घण्टे की शिफ्ट में 110 करोड़ टैबलेट तैयार कर सकती है। लेकिन यदि उत्पादन नही हो पाया तो कुछ हफ्तों बाद परेशानी खड़ी होगी। इस समय दवाओं की बिक्री काफी बढ़ गयी है। ऐसे में दवा कंपनियों के सामने आ रही मुश्किलों को तत्काल दूर किया जा सके।
देहरादून के सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र में 50 के करीब फार्मा कंपनियां हैं। दो दिनों तक तकरीबन आधी कंपनियां ठप्प रहीं। हालांकि गुरुवार में कुछ सुधार आया और 40 के करीब युनिटों ने काम शुरू कर दिया है। इधर, भगवानपुर औद्योगिक क्षेत्र की 10 से 15 ही दवा कंपनियां उत्पादन कर पा रही हैं। फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन रुडक़ी के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने बताया कि न तो कच्चा माल आ रहा है और न ही माल की सप्लाई हो रही है। इसीलिए 10 से 15 फीसदी काम हो रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि फार्मा की 70 में से बामुश्किल से 10 फैक्ट्री ही चल पा रही हैं। फार्मा एसोसिएशन का कहना है कि चीन से आपूर्ति बंद होने के बावजूद राज्य में कच्चे माल की कोई कमी नहीं है। लेकिन लॉक डाउन की वजह से दिक्कतें आ रही हैं। पुलिस और प्रशासन का सहयोग नहीं मिल रहा। इससे बड़ी संख्या में कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे। ट्रांसपोर्ट को जगह जगह चैकिंग की वजह से रोका जा रहा है जिससे बाजार को आपूर्ति नही हो पा रही। बड़ी मात्रा में तैयार दवाएं कंपनी में ही डंप पड़ी हैं।
ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कलानी का कहना है कि चीन से कच्चे माल की आपूर्ति बंद होने की वजह से फार्मा यूनिटें 70 प्रतिशत ही उत्पादन कर पा रहीं थी। लेकिन अब लॉक डाउन से और परेशानी बढ़ गयी है। पिछले तीन दिनों में राज्यभर में बड़े स्तर पर उत्पादन प्रभावित हुआ। हालांकि अब इसमें कुछ सुधार आया है। हमारा प्रयास है कि दवाओं का उत्पादन कम से कम 50 प्रतिशत तक किया जाए। सचिव स्वास्थ्य से वार्ता हुई है। कर्मचारियों के लिए पास आदि की व्यवस्था बनाई जा रही है। वहीं, स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने बताया कि फार्मा कंपनियों से बात हुई है। उनकी सभी दिक्कतों को तत्काल दूर किया जा रहा है। सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को कहा गया है कि फार्मा कंपनियों में दवाओं का उत्पादन सुनिश्चित किया जाए। कर्मचारी, ट्रांसपोर्ट और कच्चे माल की आपूर्ति में किसी भी तरह की दिक्कत न आये। यह दिक्कत लॉक डाउन की वजह से पैदा हुई है। इसे काफी हद तक ठीक कर दिया गया है। राज्य में दवाओं का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में है। उत्पादन को भी जल्द से जल्द बढ़ाया जा रहा है।