इंदौर। बार-बार बदल रहे मौसम के चलते वायरस का रजिस्टेंट पॉवर बढ़ रहा है। इसके फलस्वरूप दवाइयों का असर घटता जा रहा है। इससे छह माह से पांच साल तक के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। वे सर्दी-खासी के साथ बुखार व निमोनिया से परेशान हैं। दरअसल, वायरस के बदले स्वरूप के कारण बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक मौसमी बुखार के इस वायरस का रजिस्टेंट पॉवर (प्रतिरोधक क्षमता) पहले से बढ़ चुका है। यही कारण है कि दवाइयां भी जल्दी असर नहीं कर रहीं, वहीं लक्षण पता चलने में भी देरी हो रही है। शहर में इस समय सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मौसमी बुखार से पीडि़त अधिक बच्चे पहुंच रहे हैं। इन्हें अचानक सर्दी-खांसी के साथ बुखार की समस्या है। कुछ बच्चों को जांच कराने पर निमोनिया भी सामने आ रहा है, जबकि पहले से इसके विशेष लक्षण भी नहीं दिख रहे। एमवाय अस्पताल, पीसी सेठी अस्पताल व सिविल डिस्पेंसरियों में पहुंचने वाले मरीजों में 25 से 30 प्रतिशत छोटे बच्चे हैं। शहर में करीब 300 शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। रोजाना 25 से 30 मरीज इनके पास भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं जो सामान्य दिनों से दोगुना हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ व सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा के अनुसार डॉक्टरों द्वारा एंटिबायोटिक के अधिक प्रयोग करने से भी बीमारी के शुरुआती लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं, दवाइयों के प्रति वायरस रजिस्टेंट पैदा कर रहा है जिससे जल्द लक्षण नजर नहीं आते। वायरस के मजबूत होने पर बीमारी ठीक होने में भी समय लग रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि आजकल के मौसम में बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नौ माह से दो साल तक के बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्हें बाहर के खाने के बजाय सभी प्रकार के अनाज से बना तरल भोजन देना चाहिए। जैसे दाल-रोटी, दाल-चावल, उपमा, दलिया, उबला आलू आदि। इस मौसम में जंक फूड से भी बच्चों को बचाना चाहिए। इससे इन्फेक्शन का खतरा होने के साथ पौष्टिक चीजें भी नहीं मिल पाती हैं।