बेंगलुरु। शुगर और मोटापे के लिए ओज़ेम्पिक जैसी लोकप्रिय दवाएं अब भारत में ही बनेंगी। बताया गया है कि भारत में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 2026 से पेप्टाइड दवाएं ग्लूकागन जैसी पेप्टाइड रिसेप्टर एगोनिस्ट (जीएलपी-1आरए) का निर्माण किया जाएगा।
गौरतलब है कि जीएलपी-1आरए अग्न्याशय में जीएलपी-1 रिसेप्टर्स को सक्रिय करके काम करताP है। इसके परिणामस्वरूप इंसुलिन का स्राव बढ़ जाता है और ग्लूकागन का स्राव कम हो जाता है।
बता दें कि जीएलपी-1 श्रेणी की एंटी-डायबिटिक दवाएँ हाल ही में अपने ऑफ-लेबल उपयोग और कमी के कारण चर्चा में रही हैं। भारी मांग के चलते नकली दवाइयां भी खुलेआम बिक रही हैं। दरअसल, ये दवाएँ वजन घटाने में सहायक होती हैं, इसलिए ऑफ-लेबल का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
ये कंपनियां बना रही योजना
एली लिली और नोवो नॉर्डिस्क जैसे इनोवेटर अपना उत्पादन बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं। हाल ही में, लिली ने कहा कि वह विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए $5.3 बिलियन का निवेश करेगी। नोवो नॉर्डिस्क ने भी कहा है कि वह उत्तरी कैरोलिना में एक फिल-एंड-फिनिश प्लांट बनाने के लिए $4.1 बिलियन खर्च करेगी। डेनिश दवा निर्माता की भी ओज़ेम्पिक (मधुमेह), वेगोवी (मोटापा) बनाने की योजना है।
पेटेंट होने जा रहा समाप्त
फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी) के सचिव अरुणीश चावला का कहना है कि 2026 के आसपास इन दवाओं का पेटेंट समाप्त हो जाएगा। स्थानीय दवा उद्योग इन दवाओं के उत्पादन पर पहले से ही काम कर रहा है। जल्द ही पीएलआई योजना के तहत भारत में जीएलपी-1आरए दवाएं बनाई जाएंगी।