अम्बाला (बृजेन्द्र मल्होत्रा )। रोहतक जोन के सीनियर ड्रग्स कन्ट्रोल ऑफिसर रहे मनमोहन तनेजा पर हमला करने के आरोपी को कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई है। बता दें कि औषधि मुख्यालय से मिले निर्देशों पर 7 जनवरी 2014 को तत्कालीन एसडीसीओ मनमोहन तनेजा अपने अधिनस्थ ड्रग्स कन्ट्रोल आफिसर राकेश दहिया, मनदीप मान को साथ ले आँचल अस्पताल में औचक निरीक्षण पर गए थे। वहां मिली अनियमितताओं की सूची को कलमबद्ध किया जा रहा था। विभागीय कार्रवाई होते देख अस्पताल संचालक ने मौके पर एक राजनीतिक पैंठ रखने वाले को बुला लिया ।
इस राजनीतिज्ञ ने अस्पताल परिसर में आते ही एफडीए अधिकारियों की लोकेशन जान मौके पर पहुंचने पर मात्र पूछा कि कौन है अधिकारी? जैसे ही एसडीसीओ ने बताया कि हमें यहां जांच करने के निर्देश मिले हैं। इस पर उक्त राजनीतिक व्यक्ति ने अपना नाम प्रदीप गोयल बताते हुए एसडीसीओ के गाल पर अचानक जोरदार तमाचा मार दिया। अचानक हुए हमले से सभी अधिकारी व प्रत्यक्षदर्शियों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हमलावर भागने की फिराक में था परन्तु प्रत्यक्षदर्शियों ने दबोच लिया। मौके पर तैनात टीम का हिस्सा बने डीसीओ मनदीप मान ने पुलिस को सूचित कर मौके पर बुला लिया। लिखित शिकायत देने के बाद पुलिस ने प्रदीप गोयल को मौके पर गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से आरोपी को 14 दिन की ज्यूडिशियल हिरासत में ले लिया।
हमलावर के पक्ष में अधिकारियों को कई सिफारिशी फोन व मौखिक सन्देश भी आए ताकि प्रदीप के खिलाफ मामला शांत हो सके परन्तु सरकारी काम में बाधा का संगीन मामला कैसे ठंडे बस्ते में डाल दें कहकर एसडीसीओ तनेजा कार्यवाही पर डटे हुए थे। कोर्ट ने सरकारी काम में बाधा के नियमों की धारा 186,332,353 के तहत आरोपी को 5 वर्ष की सजा सुनाई। वर्तमान में हरियाणा राज्य सहायक राज्य औषधि नियंत्रक मनमोहन तनेजा ने घोषित फैसले की कॉपी आने के बाद पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई प्रदीप गोयल के विरुद्ध नहीं थी। उनकी लड़ाई उन व्यक्तियों के विरुद्ध थी जो सरकारी काम में बाधा बनते हैं। वे अपने विभाग के अधिकारियों की सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते हैं। अत: ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसलिए मामले को अंजाम तक पहुंचाने में हमेशा निगरानी बनाये रखी। सिरसा में भी ऐसी ही घटना हुई थी जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था तभी रोहतक में हौसले बुलन्द रहे। अब कोर्ट के निर्णय के बाद उम्मीद है कोई भी व्यक्ति एफडीए के काम में बाधा नहीं बनेगा और अधिकारी सुरक्षित रहकर जनहित में कार्य करते रहेंगे।