नई दिल्ली। नशे पर रोक लगाने के लिए हरियाणा सरकार राज्य में अनेक कारगर कदम उठा रही है। इनमें सबसे अहम होली के पर्व पर दवा विक्रेताओं पर शिकंजा कसना भी शामिल है। होली के पर्व के आसपास नशे का कारोबार काफी बढ़ जाता है। दवा विक्रेता भी ऐसे में डाक्टर की पर्ची के बिना ही नशीली दवाओं की बिक्री करते हैं। जिसको लेकर ब्यूरो को हरियाणा में नशा तस्करी की रोकथाम और नियंत्रण के साथ नशे के व्यापार, आपूर्ति, परिवहन, दवाओं के वितरण और नशीले पदार्थों के भंडारण की रोकथाम, नियंत्रण और आपराधिक अभियोग चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।

सामान्य कानूनों के चलते पिछले पांच साल में नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने में सरकार एक तरह से विफल रही है, इसलिए अब सरकार नशे के कारोबार को ध्वस्त करने का लक्ष्य तय कर चुकी है। दरअसल बता दें कि नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए जिला स्तर पर एंटी नारकोटिक सेेल का गठन किया गया है। साथ ही पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी जिला स्तर पर एंटी नारकोटिक सेल पर निगरानी रखेंगे। एंटी नारकोटिक सेल भी डाक्टर की पर्ची के बिना नशीली दवा बेचने वालों पर कार्रवाई करेगा। पुलिस थाना स्तर पर मादक द्रव्य और पदार्थ अधिनियम 1985 के अभियोगों में शामिल लोगों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही पुलिस थाना स्तर पर शैक्षणिक संस्थानों में नशीली दवाओं की आपूर्ति करने वालों सख्त कार्रवाई के लिए निर्देश दिया।

जिला व मंडल स्तर पर नशीले पदार्थों के सेवन के खिलाफ जागरूकता अभियान आयोजित करना। राज्यस्तरीय एंटी नारकोटिक सेल के साथ पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन। पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय के लिए अंतरराज्यीय ड्रग सचिवालय का मुख्यालय पंचकूला में स्थापित किया। नशीली दवाओं की आपूर्ति रोकने के लिए खुफिया तंत्र को प्रशिक्षित करना। दरअसल विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक आफताब अहमद के सवाल पर गृहमंत्री अनिल विज ने राज्य की जनता को आश्वस्त किया है कि नशे के कारोबार पर अंकुश लगाए जाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। इस क्रम में ही राज्य सरकार ने 25 अगस्त 2020 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो संगठन स्थापित किया है।