रोहतक। हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने एक ऐसा फरमान जारी किया है जो आपके होश उड़ा देगा। विभाग अधिकारी के निर्देशानुसार प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रमोट होने वाले और प्रमोट हो चुके डॉक्टरों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अनिवार्य किया है कि वह अपने चार साल के अनुभव के दौरान चाइल्ड केयर लीव, मैटरनिटी लीव, अर्बोशन लीव न लें। जी हां आपने सही पढ़ा।

बताया गया है कि अगर उन्होंने ये छुट्टियां ली तो वो प्रमोशन के योग्य नहीं होंगे और यह पूर्व और भविष्य में भी लागू होगा। वहीं इस बेतुके फरमान का अब विरोध भी शुरू हो चुका है।

हरियाणा स्टेट मेडिकल टीचर एसोसिएशन ने डीएमईआर की ओर से जारी निर्देशों पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि इस फैसले का असर सीधे महिला डॉक्टरों पर पड़ेगा। ये शर्त महिला डॉक्टरों को पीछे धकेलने के अलावा कुछ नहीं है। महिला डॉक्टरों ने रोष जताते हुए बताया अब नये नियम के अनुसार यदि उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर बनना है तो वह पहले तो शादी न करें और करें तो मां न बनें, क्योंकि चार साल का उनका अनुभव नियमित होना चाहिए।

एसोसिएशन के प्रधान डॉ. आरबी जैन ने इस संबंध में बताया कि सभी हैरान है कि कोई नियम नये सिरे से तो लागू किया जाता है, लेकिन बैक डेट में लागू करने का मामला पहली बार प्रकाश में आया है। सबसे बड़ी बात है कि पीजीआईएमएस के डॉक्टरों पर कोई भी फैसला सीधा सरकार या अधिकारी नहीं थोप सकते। हेल्थ विश्वविद्यालय एक ऑटोनोमस बॉडी है, यहां कोई भी नियम बगैर एग्जीक्यूटिव काउंसिल और अकेडमिक काउंसिल में पास हुए बिना लागू नहीं हो सकता।

सूबे में रोहतक पीजीआई के अलावा, करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज, खानपुर के बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज, नूहं के शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज और हिसार के महाराजा अग्रसेन मेडीकल कॉलेजों को भी यही फरमान भेजा गया है।