मोगा (पंजाब)। ईडी के रडार पर पंजाब सूबे के 22 नशा मुक्ति केंद्र आ गए हैं। सरकार ने फैसला किया कि किसी भी निजी व्यक्ति को राज्य में पाँच से ज़्यादा नशा मुक्ति केंद्र चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य उस व्यवस्था में पारदर्शिता लाना था, जो विवादों में घिर गई है। यह संकट सबसे ज़्यादा स्पष्ट रूप से 22 निजी केंद्रों के मामले में देखा जा सकता है।

इनकी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जाँच की जा रही है। इन केंद्रों पर फर्ज़ी मरीज़ों को भर्ती करने, ज़रूरत से ज़्यादा दवाइयाँ खऱीदने और उन्हें खुले बाज़ार में बेचने के आरोप सामने आए हैं।

सभी 22 क्लीनिक चंडीगढ़ के एक ही व्यक्ति डॉ. अमित बंसल द्वारा संचालित थे। ये क्लीनिक पंजाब के 16 जि़लों और चंडीगढ़ के एक जि़ले में फैले हुए थे। अब सभी बंद हो चुके हैं। हालांकि पंजाब में अन्य निजी संस्थाएँ भी नशामुक्ति केंद्र चला रही थीं। फिर भी यह किसी एक संस्था द्वारा संचालित सबसे ज़्यादा संख्या थी।

बंसल के क्लीनिकों के लिए मुसीबतें 2022 में शुरू हुईं। लुधियाना के एक नशा मुक्ति केंद्र के दो कर्मचारियों को कथित अनियमितताओं के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। पिछले साल उनकी कड़ी जाँच हुई। उनके एक क्लीनिक से वीडियो वायरल हुए। इसमें कथित तौर पर कर्मचारियों को खुले बाज़ार में दवाएँ बेचते हुए दिखाया गया था।

जाँचकर्ताओं का कहना है कि बंसल के केंद्रों ने कथित तौर पर मरीज़ों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई। ज़रूरत से ज़्यादा गोलियाँ खरीदीं और उन्हें खुले बाज़ार में नशेडिय़ों और पार्टी करने वालों को ज़्यादा दामों पर बेचा। पंजाब में 529 ओपिओइड असिस्टेड ट्रीटमेंट क्लीनिक हैं। राज्य पर बोझ कम करने के लिए अब 177 लाइसेंस प्राप्त निजी केंद्र हैं।