नई दिल्ली। सरकार ने दवाओं के साइड इफेक्ट्स बताने के लिए दवा कंपनियों के जरूरी इंतजामों की जांच शुरू कर दी है। इस बारे में एक साल पहले गाइडलाइंस बनाई गई थीं। भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की टीमें अब इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि कंपनियां इनका पालन कर रही हैं या नहीं। ये गाइडलाइंस इसलिए लाई गई थीं कि मरीजों को दवाओं के साइड इफेक्ट्स से बचाया जाए।
गौरतलब है कि सरकार ने फार्मा निगरानी के इस सिस्टम को इसलिए बनाया क्योंकि कई दवा कंपनियां अपनी दवाओं के साइड इफेक्ट्स की जानकारी नहीं देती थीं और क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों को भी सार्वजनिक नहीं करती थीं। वैसे, केंद्र ने दवा कंपनियों पर भरोसा न करते हुए दवाओं के साइड इफेक्ट्स की जानकारी देने के लिए हाल में नई शुरुआत भी की है। फार्माकोपिया कमिशन ऑफ इंडिया ने दवाओं से होने वाले नुकसान की जानकारी देने के लिए एक ऐप लॉन्च किया है। इसके जरिए सरकारी अस्पतालों के साथ ही देश के बड़े निजी अस्पतालों ने भी दवाओं के साइड इफेक्ट्स की जानकारी देना शुरू कर दिया है। अगर किसी शख्स को किसी भी दवा के साइड इफेक्ट्स का पता चलता है तो वह इस ऐप के जरिए उसे शेयर कर सकता है। इससे सरकार उस दवा को बनाने वाली कंपनी से बात कर सकती है। साइड इफेक्ट्स अगर गंभीर किस्म के हुए तो दवा के उत्पादन का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।