आगरा। औषधि विभाग की टीम ने थोक और खुदरा दवा की दुकानों पर रेड की। थोक दवा की दुकान पर बिल न दिखाने के चलते एक लाख की दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। दवाओं की खरीद और बिक्री का ब्योरा मांगा गया है। औषधि निरीक्षक ब्रजेश यादव ने बताया कि उनकी टीम ने गुलशेर संचालक अनीस मेडिकल स्टोर, टेढ़ी बगिया पर छापा मारा। यहां फार्मासिस्ट नहीं मिला। उसे फोन कर बुलाया गया। लेकिन, वह संबंधित मेडिकल स्टोर पर बैठता है, इसका कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सका। यहां दवाओं की खरीद बिक्री का रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा था। इसके चलते शिड्यूल एच की दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। वहीं, एक दवा का सैंपल लिया है। इसके बाद टीम ने अनीस अहमद की थोक दवा की दुकान साबिर मेडिकल स्टोर पर छापा मारा। पता चला कि यहां से मरीजों को भी दवाओं की बिक्री की जा रही थी। दवा की दुकान में क्षमता से ज्यादा दवाएं रखी हुई थीं। नारकोटिक्स और शिड्यूल एच की दवाओं का रिकॉर्ड मांगा गया है। बिल न दिखाने पर एक लाख की दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है। दो दवाओं के सैंपल की जांच कराई जा रही है। सहायक औषधि आयुक्त शिव शरण सिंह को दोनों दुकानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए निरीक्षण रिपोर्ट दी गई है।
गौरतलब है कि औषधि विभाग ने दवा की दुकानों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। विभाग का कहना है कि निरीक्षण के दौरान दुकान पर फार्मासिस्ट न मिलने की अवस्था में दवा बिक्री पर रोक लगाई जाएगी। इसके बाद पंजीकरण कैंसिल करने की कार्रवाई भी की जाएगी। जिले में थोक और खुदरा दवा की 4300 दुकानें हैं। मेडिकल स्टोर के संचालन के लिए फार्मासिस्ट की अनिवार्यता है। इन दुकानों पर फार्मासिस्ट की दवाओं की बिक्री कर सकता है। मगर, अधिकांश दुकानों पर फार्मासिस्ट उपलब्ध नहीं हैं। एक फार्मासिस्ट के नाम से कई मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं। शासन स्तर से औषधि विभाग को मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण करने और फार्मासिस्ट न मिलने पर दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। सहायक औषधि आयुक्त शिव शरण सिंह ने बताया कि औषधि निरीक्षक की टीम मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण करेगी। फार्मासिस्ट को मौके पर बुलाकर दवाएं कहां रखी हैं, यह पूछा जाएगा। इससे पता चल सकेगा कि उक्त फार्मासिस्ट नियमित मेडिकल स्टोर पर आता है या नहीं। फार्मासिस्ट न मिलने पर दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई जाएगी और पंजीकरण कैंसिल करने की कार्रवाई की जाएगी।